गोहाना, 29 अक्तूबर (निस)
अगर किसानों की एमएसपी खत्म होने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर राजनीति छोड़ना ही चाहते हैं तो वे एक बार प्रदेश की मंडियों का चक्कर लगा आएं और गांवों में किसानों से बात कर लें। पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करते हुए मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए बयान पर यह बात कही।
हुड्डा ने कहा कि किसान खुद बता देंगे कि आज उनकी कोई भी फसल एमएसपी पर नहीं बिक रही है। किसान कई हफ्तों से मंडियों में धान और दूसरी फसलें लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी ढंग से खरीद नहीं हो रही है। पहले नमी, रजिस्ट्रेशन और गेट पास के नाम पर किसानों को परेशान किया गया और अब भुगतान के लिए लंबा इंतजार कराया जा रहा है। लचर सरकारी व्यवस्था से परेशान होकर मजबूरी में किसान औने-पौने दामों पर अपनी फसल प्राइवेट एजेंसी को बेच रहे हैं। निजी एजेंसियां किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें लूट रही हैं।
हुड्डा ने कहा कि सरकार ने किसानों को इन प्राइवेट एजेंसियों के हवाले करने के लिए ही 3 नये कृषि कानून लागू किए हैं। आज किसानों को अपना धान 500 से 1000 रुपये कम रेट पर बेचना पड़ रहा है। कांग्रेस सरकार में 4-5 हजार रुपये प्रति क्विंटल के रेट पर बिकने वाली 1509 धान, अब 1700 से 2000 रुपये में बिक रही है। इसी तरह मक्का किसानों को भी प्रति क्विंटल 1 हजार से 1200 रुपये कम रेट मिला। यही हाल बाजरा और कपास का हुआ। साढ़े पांच हजार एमएसपी वाली कपास किसानों से 4500 रुपये में खरीदी गई।
नेता विपक्ष ने कहा कि सत्ता में बैठे लोग सिर्फ बातों के ठग हैं, न ये किसान को एमएसपी देने वाले हैं और न ही राजनीति छोड़ने वाले। मौजूदा सरकार की मंशा पूरी तरह किसान विरोधी है। आज लग रहा है, मानो सरकार किसानों को चौतरफा मार मारने में लगी है। हमारी सरकार में किसानों के लिए बनाई गई मंडी, एमएसपी, बोनस, सब्सिडी, मुआवजा जैसी व्यवस्थाओं को मौजूदा सरकार ध्वस्त करने में लगी है। उन्होंने कहा कि बरोदा उप-चुनाव सिर्फ एक विधायक बनाने की नहीं बल्कि प्रदेश में परिवर्तन की लड़ाई है। बरोदा से प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की बड़ी लहर उठेगी, जो चंडीगढ़ तक जाएगी। चंडीगढ़ की सत्ता का रास्ता बरोदा से होकर निकलेगा।