32 साल बाद 1989 का मोटर व्हीकल एक्ट लागू
विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 7 मार्च
आखिरकार 32 साल बाद परिवहन विभाग की नींद खुल ही गई। हादसों पर अंकुश लगाने के लिए 1989 में बनाए गए मोटर व्हीकल एक्ट को परिवहन विभाग ने आधी-अधूरी तैयारी से साथ लागू करने का फरमान जारी कर दिया है। कार का ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए सिर्फ ट्रायल से काम नहीं चलेगा। अब हर व्यक्ति को इसके लिए 21 दिन की ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग लेनी होगी और आवेदन के साथ ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट भी लगाना होगा। परिवहन विभाग हरियाणा के आयुक्त ने इस संबंध में प्रदेश की सभी लाइसेंसिंग अथॉरिटी को आदेश जारी कर दिए हैं, जिन्हें तुरंत प्रभाव से लागू करने के लिए कहा है।
परिवहन विभाग के नये फरमान से लाइसेंस बनवाना महंगा हो जाएगा और 3000 से 3500 रुपए अब ज्यादा खर्च करने होंगे। फिलहाल नये आदेश से प्रदेश में करीब सवा लाख रेगुलर लाइसेंस पर ब्रेक लग जाएगा, क्योेंकि अब उन्हें 21 दिन की ट्रेनंग करनी होगी। ट्रेनिंग में वाहन चालक को ए,बी,सी,एफ, जी और के सीखना होगा। इसमें ड्राइविंग थ्योरी से लेकर अपने वाहन का कैसे रखरखाव रखा जाए, सब कुछ सिखाया जाएगा। ट्रेनिंग के बाद आपको ड्राइविंग टेस्ट देना होगा। यदि आप इसमें पास हो जाते हैं तभी आपको लाइसेंस जारी किया जाएगा।
ये होगा सिलेबस
ड्राइविंग थ्योरी (ए) : अपने वाहन को जानो। इंजन किस तरह काम करता है। वाहन को हाथ और पैरों से कैसे कंट्रोल करें। वाहन चलाने से पहले क्या-क्या जांच करें। ड्राइविंग सीट पर बैठने के बाद क्या करें। रोड पर वाहन कैसे चलाएं। मोड़ काटते समय किन बातों का ध्यान रखें।
ट्रैफिक एजुकेशन-1 (बी) : रोड पर वाहन को कैसे चलाएं। हाथों और ट्रेफिक नियमों को जानना। आटोमेटिक लाइट सिंग्नल्स को पहचाना। वाहन को सही जगह पार्क करना।
कैसे करें अभ्यास (सी) : वाहनों के पुर्जों के बारे जानना। स्टीयरिंग का अभ्यास। गियर कैसे बदलें। वाहन को बैक कैसे करें। कैसे वाहन को मोड़े और पार्क करें।
ट्रैफिक एजुकेशन-11 (एफ) : अपनी रोड को जानना। दूसरे वाहन से कितनी दूरी पर चलना है। रोड मार्किंग को सीखना। जंक्शन, फ्लाईओवर, जैबरा क्रॉसिंग, लेन मार्किंग, सब-वे, कब और कैसे किस लेन में चलना है।
नैतिकता- (जी) : वाहन चलाते समय हम दूसरे वाहन चालकों के साथ नैतिकता का व्यवहार करें।
फर्स्ट एड- (के) : वाहन चलाते समय कभी भी दुर्घटना हो सकती है। ऐसे में वाहन चालक को फर्स्ट एड की जानकारी होना जरूरी है। इसमें ड्रेसिंग से लेकर प्राथमिक उपचार तक शामिल है।
दोपहिया वाहन : इस ट्रेनिंग से दोपहिया वाहन चालकों को छूट दी गई है।
चुनौती प्रदेश में 250 ड्राइविंग स्कूल, कैसे देंगे ट्रेनिंग
विभाग ने एक्ट तो लागू कर दिया है, लेकिन इसमें काफी खामियां है। इस समय प्रदेशभर में 74 लाइसेंसिंग अथॉरिटी हैं। इनमें रोजाना करीब 7 हजार लोग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं। इस तरह महीने में करीब सवा लाख आवेदन हो जाते हैं। परिवहन विभाग द्वारा प्रदेशभर में 250 ड्राइविंग स्कूलों को लाइसेंस जारी किए गए हैं। इस हिसाब से प्रत्येक ड्राइविंग स्कूल के हिस्से में 600 वाहन चालक आते हैं, जिन्हें ट्रेनिंग देनी होगी। यह स्कूल इतनी ज्यादा संख्या में वाहन चालकों को ट्रेनिंग देने में सक्ष्म नहीं है। इन स्कूलों में एक या दो फोर व्हीलर ही होते हैं, जिसमें यह ट्रेनिंग देंगे।
खामियां गैर तकनीकी कर्मचारी ले रहे टेस्ट
प्रदेशभर की लाइसेंसिंग अथॉरिटी में गैर तकनीकी कर्मचारी वाहन चालकों का ड्राइविंग टेस्ट ले रहे हैं, जबकि नियम के अनुसार मेकेनिकल में डिप्लोमा प्राप्त कर्मचारी ही टेस्ट ले सकता है। अभी हैवी व्हीकल के मामले में ही मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर टेस्ट ले रहे हैं। जितनी संख्या में लाइसेंस के लिए आवेदन हो रहे हैं, उस हिसाब से प्रदेशभर में ड्राइविंग स्कूल उपलब्ध नहीं है। पहले वाहन चालक को लाइसेंस प्राप्त करने के लिए दसवीं पास होना जरूरी था, लेकिन अब इस शर्त को हटा दिया गया है। ऐसे में ट्रैफिक नियम सख्ती से कैसे लागू होंगे।
वर्तमान में फीस
वर्तमान में लर्निंग लाइसेंस बनवाने की फीस 630 रुपए है। इसके अतिरिक्त रेडक्रास टेस्ट-300, मेडिकल फीस 150, लर्निंग टेस्ट फीस-120 रुपए वसूल किए जा रहे हैं । इसी तरह परमानेंट लाइसेंस बनवाने की फीस 1280 रुपए है।
ये होना चाहिए ड्राइविंग स्कूल में
- सीखने वालों के लिए थ्योरी क्लासेस लगाने के लिए ऑडियो-वीडियो सिस्टम होना चाहिए।
- ऐसी गाड़ी जिसमें ड्राइविंग सीट के अलावा पास वाली सीट के सामने क्लच-ब्रेक का सेटअप हो।
- ड्राइविंग सिखाने वाले ऐसे लोग, जिनके पास हेवी कैटेगरी का डीएल हो।
- ऐसा ग्राउंड जहां लर्नर को एक सप्ताह की प्रेक्टिकल ट्रेनिंग दी जा सके।
विभाग की तैयारी ट्रेनिंग स्कूलों में करेंगे प्रशिक्षित
परिवहन विभाग के इस समय प्रदेश के 13 जिलों में डीटीएस (ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल) में भारी वाहनों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। अब विभाग की योजना है कि यहां निजी वाहन (नॉन ट्रांसपोर्ट) चलाने वाले चालकों को भी ट्रेनिंग दी जाए। इसके अलावा मारुति ने भी अपने स्कूल खोले हुए है। हरियाणा राज्य परिवहन विभाग के अतिरिक्त आयुक्त वीरेंद्र सिंह सहरावत ने बताया कि प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। यदि वाहन चालक प्रशिक्षित होंगे तो दुर्घटनाएं कम होगी। इसी वजह से 1989 मोटर व्हीकल एक्ट को लागू किया गया है। वाहन चालकों को ट्रेनिंग देने के लिए पर्याप्त स्कूल है। विभाग की योजना है कि प्रशिक्षण देने के बाद ही वाहन चालकों को लाइसेंस दिए जाएं। चंडीगढ़ की तर्ज पर हरियाणा में ट्रैफिक पार्क बनाने की योजना है। इस पर काम चल रहा है। इसके लिए एक टीम ने इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग स्कूल एंड ट्रैफिक रिसर्च सेंटर (आईडीटीआर) देहरादून का दौरा किया था, जिस पर काम चल रहा है।
पड़ोसी राज्यों में ये है प्रक्रिया
पंजाब, हिमाचल और चंडीगढ़ में फोर व्हीलर का परमानेंट लाइसेंस बनवाने के लिए ड्राइविंग टेस्ट स्लॉट ऑनलाइन बुकिंग करनी होती है। इसकी फीस भी ऑनलाइन जमा हो जाती है। इसके बाद आवेदक को ड्राइविंग लाइसेंस परीक्षण एक मोटर वाहन निरीक्षक की उपस्थिति में देना होता है। टेस्ट के लिए आवेदक को अपना वाहन लाना पड़ता है। यदि आप टेस्ट पास कर लेते हैं तो आपका बायोमेट्रिक्स रिकॉर्ड किया जाएगा और आपकी एक फोटो ली जाती है। इसके बाद आपको परमानेंट लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। यदि का ड्राइविंग टेस्ट पास नहीं कर सकते तो आपको फिर से ड्राइविंग टेस्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन करना हाेता है। यहां ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग लेने का कानून नहीं है। चंडीगढ़ में टेस्ट के लिए ट्रैफिक पार्क की व्यवस्था है, जहां आॅटोमेटिक व्यवस्था है।