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कांग्रेस में गुटबाजी से आहत राहुल गांधी ने खुद ही संभाला मोर्चा

हरियाणा के कांग्रेसियों में जगी संगठन बनने की उम्मीद
राहुल गांधी
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 29 मई

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हरियाणा में कांग्रेस के संगठन का गठन होने की उम्मीद अब कांग्रेसियों में जागी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने खुद इसकी पहल की है। राहुल गांधी के मैदान में आने के बाद कांग्रेसियों को लगने लगा है कि अब जल्द ही जिला, ब्लाक व प्रदेश स्तर पर संगठन बन सकेगा। माना जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की आपसी खींचतान व गुटबाजी से राहुल गांधी काफी आहत हैं। इसीलिए उन्होंने खुद ही संगठन को लेकर बैठक करने का निर्णय लिया है।

पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद से राहुल गांधी ने चंडीगढ़ में आकर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं और केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नियुक्त किए गए ऑर्ब्जवरों (पर्यवेक्षकों) की मीटिंग लेने की पुष्टि की है। हरिप्रसाद ने कहा– अभी यह तय नहीं हुआ है कि मीटिंग किस जगह पर होगी लेकिन राहुल गांधी का आना तय है। राहुल गांधी के कार्यालय की ओर से चंडीगढ़ दौरे का विस्तृत शेड्यूल अभी नहीं आया है। उनका कार्यक्रम जारी होने के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकेगा, ऐसा प्रदेश प्रभारी ने बताया।

दिल्ली से जुड़े कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि संगठन गठन को लेकर नई दिल्ली में कई दौर की बैठकों के बाद भी सहमति नहीं बनने के बाद ही राहुल गांधी ने कमान अपने हाथों में ली है। वे अकेले हरियाणा नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही करने वाले हैं। हरियाणा की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी संगठन गठन को लेकर केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किए जा चुके हैं। बताते हैं कि पिछले साल अक्तूबर में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों से राहुल गांधी काफी नाराज हैं।

पूर्व शिक्षा मंत्री फूलचंद मुलाना को 27 जुलाई, 2007 को भजनलाल की जगह प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। 10 फरवरी, 2014 को मुलाना की जगह प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व डॉ़ अशोक तंवर को सौंपा गया। तंवर साढ़े पांच वर्षों से अधिक समय तक प्रधान रहे। उन्होंने ही 2014 के लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद संगठन को भंग किया था। 4 सितंबर, 2019 को कुमारी सैलजा को तंवर की जगह प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। 27 अप्रैल, 2022 से चौ़ उदयभान प्रधानगी संभाले हुए हैं। उदयभान का भी तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन तीनों ही नेता - अशोक तंवर, कुमारी सैलजा व उदयभान संगठन का गठन नहीं कर सके। हालांकि प्रदेश कांग्रेस की ओर से जिला व ब्लाक प्रधानों की लिस्ट भी हाईकमान को कई बार भेजी जा चुकी हैं लेकिन गुटबाजी के चलते हर बार रुक गई। कई बार ऐसे मौके भी आए, जब लिस्ट जारी भी हुई लेकिन उन पर हाईकमान ने ही स्टे भी लगा दिया। 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से हालिया नगर निगम के चुनावों तक कांग्रेस ने सभी चुनाव बिना संगठन के ही लड़े हैं।

संगठन के बिना चुनाव लड़ने से हुआ नुकसान

लोकसभा व विधानसभा चुनावों में हार के बाद हुई समीक्षा बैठकों में यह बार यह बात उभर कर सामने आई कि संगठन के बिना चुनाव लड़ने का पार्टी को नुकसान हुआ है। जिला व ब्लाक स्तर पर जब तक संगठन नहीं होगा तो ना तो पार्टी की नीतियों को ग्राउंड तक पहुंचाया जा सकेगा और न ही चुनावों में पार्टी के लिए कोई काम करेगा। इस बार के विधानसभा चुनावों में तो पॉजिटिव माहौल के बाद भी कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। प्रचंड बहुमत से सत्ता का दम भर रही कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई और भाजपा एंटी-इन्कमबेंसी के बाद भी तीसरी बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने में कामयाब हुई।

सोनिया भी ले चुकी मीटिंग

यह पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की बैठक लेने राजधानी आ रहे हैं। अशोक तंवर के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पंचकूला के इंद्रधनुष आडिटोरियम में भी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ मैराथन बैठकें की थी। उस समय उन्होंने प्रदेश के नेताओं के अलावा कांग्रेस सेवादल, पंचायती राज सहित विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों के साथ भी बैठक की थी। वहीं सोनिया गांधी हुड्डा सरकार के दौरान चंडीगढ़ आई थीं और उन्होंने प्रदेश के विधायकों के साथ बैठक की थी।

गुजरात फार्मूले पर मंथन

हरियाणा में संगठन गठन को लेकर केंद्रीय नेतृत्व गुजरात फार्मूले पर भी मंथन कर रहा है। अगर यह फार्मूला हरियाणा में लागू होता है तो प्रदेश कांग्रेस के सभी नेताओं की संगठन में एडजस्टमेंट आसानी से हो सकेगी। गुजरात में जिलाध्यक्ष के साथ दो-दो कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए हुए हैं। हरियाणा में प्रदेश स्तर पर यह फार्मूला पहले से लागू है। वर्तमान में भी प्रदेशाध्यक्ष चौ़. उदयभान के साथ तीन कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष – रामकिशन गुर्जर, जितेंद्र कुमार भारद्वाज व सुरेश गुप्ता हैं।

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