चंडीगढ़, 30 जुलाई (ट्रिन्यू)
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि प्रदेश सरकार स्कूली बच्चों तक पाठ्य पुस्तकें पहुंचाने की जिम्मेदारी से मुंह छिपा रही है। प्राइमरी स्कूलों का उदाहरण सामने है, जहां पाठ्य पुस्तकें बच्चों को मिली नहीं लेकिन स्कूल खोलने का फरमान जारी कर दिया गया। अभिभावक पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार को किस बात की जल्दी है। सरकार न तो पुस्तकें दे रही और न कोरोना से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर पा रही है।
शुक्रवार को चंडीगढ़ से जारी बयान में सैलजा ने कहा कि अगस्त के पहले सप्ताह में प्राइमरी स्कूल खोलने की घोषणा तो सरकार ने कर दी, लेकिन यह नहीं बता रही कि पुस्तकें कब तक पहुंचाएगी। बिना पुस्तक बच्चे स्कूल जाकर करेंगे क्या। नए फरमान का औचित्य तो बताया जाए। सैलजा ने कहा कि 16 जुलाई को 9वीं से 12वीं और 23 जुलाई को छठी से आठवीं तक के स्कूल खोल दिए गए। अब प्राथमिक स्कूलों की बारी है। सरकार ने न तब किसी की सलाह मानी थी और न अब मानने को तैयार लगती है।
प्रदेश में एक हजार से अधिक राजकीय मॉडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल खोले गए थे। उनमें भी किताबें नहीं दी गई। इन बच्चों की संख्या करीब 50 हजार है और उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है। सैलजा ने कहा कि कुछ सरकारी स्कूलों में आदान-प्रदान स्कीम के तहत पुराने छात्रों की किताबें कुछ नए छात्रों को जरूर दिलवा दी गईं, लेकिन नई किताबें कहां हैं, कब तक मिलेंगी, कोई नहीं बता रहा।