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फरीदाबाद निगमायुक्त को मानवाधिकार आयोग का नोटिस

मानव जीवन से खिलवाड़ क्यों!
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हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने फरीदाबाद नगर निगम की ढिलाई और आदेशों की अवहेलना पर सख्त रुख अपनाते हुए नगर निगम आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयोग ने कहा है कि नगर निगम की यह निष्िक्रयता ‘मानव जीवन के प्रति असंवेदनशीलता और प्रशासनिक बेपरवाही की चरम सीमा’ है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने अपने आदेश में तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि आयोग के निर्देशों की अवमानना और मृतक के परिजनों को मुआवजा न देना मानव अधिकारों का खुला उल्लंघन है।

आदेश में कहा गया है कि आयुक्त यह स्पष्ट करें कि आयोग के आदेश की अवहेलना पर उनके खिलाफ मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 13(2) के तहत कार्रवाई क्यों न की जाए। जस्टिस बत्रा ने कहा कि नगर निगम की उदासीनता यह दर्शाती है कि प्रशासन ने नागरिकों के जीवन की सुरक्षा को हल्के में लेना शुरू कर दिया है। यह न केवल शासन की जवाबदेही पर सवाल उठाता है, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी तोड़ता है।

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उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा अपनी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग पर डालना संस्थागत टालमटोल का उदाहरण है। आयोग ने चेतावनी दी कि अब यह रवैया नहीं चलेगा, आदेश की अवमानना करने वालों को जवाब देना ही होगा। आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि आयोग ने एफआईआर संख्या 234 (18 अगस्त, 2025) की जांच को तेजी से पूरा करने के लिए उप पुलिस आयुक्त, बल्लभगढ़ को निर्देशित किया है।

साथ ही, हरियाणा के सभी नगर निगम आयुक्तों, नगर परिषदों और नगर समितियों को आदेश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस तरह के हादसों की रोकथाम, जवाबदेही तय करने और मुआवजा नीति पर विस्तृत रिपोर्ट आयोग को भेजें। आयोग ने यह भी कहा कि मानव जीवन की कीमत किसी फाइल या विभागीय औपचारिकता से कहीं अधिक है। जो अधिकारी अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ते हैं, उन्हें अब जवाब देना ही होगा। आयोग ने स्पष्ट किया कि मामला सिर्फ एक नागरिक की मौत का नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की जिम्मेदारी की परीक्षा है।

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