हिसार 18 जुलाई (हप्र)
बरसात के बाद कपास में निराई गुड़ाई करें। अगर आपने बिजाई के समय डीएपी डाल दिया है तो अच्छी बारिश के बाद बीटी कपास में एक बैग यूरिया का छिड़काव करें। अगर बिजाई के समय डीएपी नहीं डाला है तो अब अच्छी बरसात के बाद उसमें डीएपी डालेंं। देसी कपास में कोई भी खाद डालने की आवश्यकता नहीं है।
यह सलाह चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने किसानों के लिए जारी की है। कुलपति ने बताया कि बिना सिफारिश किए गए खाद न डालें तथा फसल में एनपीके इत्यादि का छिडकाव भी बिजाई के सौ दिन बाद ही करें। अधिक बरसात के बाद कपास के खेत से पानी की निकासी सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में स्प्रै के घोल में चिपचिपा पदार्थ जैसे सेण्डवित, सेलवेट 99 या टीपोल की 60 मिलीलीटर मात्रा प्रति 200 लीटर घोल मिलाएं।
जुलाई माह में कपास की फसल में थ्रिप्स/चूरड़ा, सफेद मक्खी व हरे तेला का भी प्रकोप हो जाता हैं। 60 दिनों से कम अवधि की फसल में थ्रिप्स संख्या यदि 30 थ्रिप्स प्रति 3 पत्ता मिले तो नीम आधारित कीटनाशक का प्रयोग करें। सफेद मक्खी यदि 6-8 प्रौढ़ प्रति पत्ता एवं हरा तेला 2 शिशु प्रति पत्ता मिले तो फ्लॉनिकामिड़ (उलाला) 50 डब्लू जी की 60 ग्राम मात्रा प्रति 200 लीटर पानी की दर से एक छिड़काव करें।
अनुसंधान निदेशक डॉ जीतराम शर्मा ने बताया कि नरमा की फसल के आसपास बीते साल की नरमा की बनछटिया रखी हुए हैं या उनके खेतों के आसपास कपास की जिनिंग व बिनौलों से तेल निकालने वाली मिल लगती है, उन किसानों को अपने खेतों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इन खेतों में गुलाबी सुण्डी का प्रकोप पहले से अधिक होता है।