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होटल मैनेजमेंट कुरुक्षेत्र के कर्मियों को नहीं मिला आठ माह से वेतन

वित्तीय संकट से जूझ रहा प्रतिष्ठित संस्थान
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कुरुक्षेत्र स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट भवन। -हप्र
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कुरुक्षेत्र, 13 फरवरी (हप्र)

भारत के शीर्ष हॉस्पिटैलिटी संस्थानों में से एक इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम) कुरुक्षेत्र अपने उत्कृष्ट शिक्षा प्रणाली, उद्योग में बेहतरीन प्लेसमेंट और कुशल हॉस्पिटैलिटी प्रोफेशनल्स तैयार करने के लिए जाना जाता है। हालांकि तमाम उपलब्धियों के बावजूद यह प्रतिष्ठित संस्थान वित्तीय संकट से जूझ रहा है, क्योंकि इसके नियमित कर्मचारियों को पिछले आठ महीनों से वेतन नहीं मिला है। 2008 में हरियाणा सरकार द्वारा आंशिक सहायता प्राप्त एक स्वायत्त संस्थान के रूप में स्थापित आईएचएम कुरुक्षेत्र को हरियाणा पर्यटन विभाग और भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से बनाया गया था। इस संस्थान की स्थापना स्किल इंडिया अभियान को बढ़ावा देने और हरियाणा के छात्रों को हॉस्पिटैलिटी शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।

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इंडिया टुडे की 2023 की सर्वे रिपोर्ट में भारत के शीर्ष 20 होटल मैनेजमेंट स्कूलों में स्थान प्राप्त करने वाले इस संस्थान का 12 एकड़ में फैला सुंदर परिसर अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। यहां स्मार्ट क्लासरूम, फूड प्रोडक्शन लैब्स, क्वांटिटी फूड किचन, आधुनिक ऑडिटोरियम, बड़े खेल मैदान और हॉस्टल सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही अनुभवी प्रोफेशनल्स और शिक्षकों के मार्गदर्शन में छात्रों को न केवल सैद्धांतिक शिक्षा दी जाती है, बल्कि प्रैक्टिकल स्किल्स, ग्रूमिंग, और इंडस्ट्री एक्सपोजर पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।

संस्थान की सबसे बड़ी उपलब्धि इसकी 100% प्लेसमेंट दर है। यहां के छात्र ताज, ओबेरॉय, मैरियट, आईटीसी, हयात, रेडिसन जैसे विश्व-प्रसिद्ध होटल समूहों में नौकरी पाने में सफल रहे हैं। इसके अलावा कई प्रमुख फूड रिटेल ब्रांड्स के साथ भी संस्थान के मजबूत संबंध हैं। यहां नेशनल काउंसिल फॉर होटल मैनेजमेंट (एनसीएचएम), नोएडा द्वारा डिजाइन किया गया पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है और डिग्री जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली द्वारा प्रदान की जाती है।

सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग

इन उपलब्धियों के बावजूद, संस्थान को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। पिछले आठ महीनों से नियमित कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके परिवारों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। ये वही कर्मचारी हैं, जिन्होंने अपनी निष्ठा और कड़ी मेहनत से हॉस्पिटैलिटी उद्योग के लिए योग्य पेशेवर तैयार किए हैं। परंतु सरकारी अनुदान में हो रही देरी ने उन्हें वित्तीय असुरक्षा में डाल दिया है। विडंबना यह है कि भारत सरकार ने 2025 के बजट में देश में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को मजबूत करने और हॉस्पिटैलिटी संस्थानों को बढ़ावा देने की बात कही थी, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। एक राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित संस्थान आईएचएम कुरुक्षेत्र को ही अनदेखा किया जा रहा है, जिससे इसकी शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।

वेतन राशि तुरंत जारी की जाए

आईएचएम कुरुक्षेत्र के कर्मचारी इस माध्यम से सरकार और संबंधित अधिकारियों से अपील करते हैं कि उनकी वेतन राशि तुरंत जारी की जाए और भविष्य में इस तरह की देरी को रोका जाए। यदि इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह न केवल कर्मचारियों बल्कि पूरे हॉस्पिटैलिटी शिक्षा क्षेत्र के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

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