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कृषि में उद्यमिता के लिए धर्मवीर कंबोज को मानद उपाधि

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में किसान को राज्यपाल ने किया सम्मानित

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यमुनानगर के किसान धर्मवीर कंबोज को दीक्ष्ाांत समारोह में सम्मानित करते राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय। -हप्र
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सुरेंद्र मेहता/हप्र

यमुनानगर, 26 फ़रवरी

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श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कृषि क्षेत्र में उद्यमिता के लिए धर्मवीर कंबोज को मानद उपाधि से सम्मानित किया। जिले के गांव दामला निवासी धर्मबीर कंबोज के जीवन संघर्ष की गाथा ‘एक रिक्शा चालक से एक कामयाब उद्यमी के रूप’ में सीबीएससी की पाठ्य पुस्तक में शामिल की जा चुकी है। धर्मवीर कंबोज यमुनानगर, करनाल, कुरुक्षेत्र व हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को नवाचार के लिए प्रेरित करते हैं।

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हनी बी नेटवर्क द्वारा शुरू की गई मुहीम जिसके तहत गांव-गांव गली-गली से बच्चों व ग्रास रुट नावचरियों को आइडिया कम्पटीशन में भाग दिलवाने के लिए व विद्यार्थियों व अन्य की काफी मदद की जाती है। धर्मवीर कंबोज के प्रयासों से जिले के विभिन्न विद्यार्थियों को आइडिया प्रतियोगिता में भाग लेने में मदद मिली है। उनकी जीवन गाथा में बताया गया है कि कैसे वे दिल्ली की सड़कों पर सवारी ले जाया करता था। धर्मवीर कंबोज सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया। जिसके बाद उन्होंने जीवन को नए सिरे से शुरू करने के लिए अपने पैतृक गांव दामला लौटने का फैसला किया। बिना किसी तकनीकी प्रशिक्षण व स्कूल छोड़ने के कारण रोजगार के मामले में उनका दायरा और सीमित हो गया। उनके दिल में बार-बार कुछ अलग करने की ललक उठती रही। वह सही प्रेरणा और अवसर की तलाश में थे। राजस्थान के जयपुर, अजमेर और पुष्कर क्षेत्रों के बाहरी इलाकों में उनकी एक यात्रा के दौरान ऐसा अवसर उनके सामने आया, जहां उन्होंने कई महिला स्वयं सहायता समूहों को काम करते देखा। आंवले के लड्डू बनाने की प्रक्रिया में महिलाओं का काम करना आम था। यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल प्रतीत होती थी, आंवले को पत्थर की पट्टियों पर हाथों से पीसना एक कष्टदायी था। ऐसी मशीनें उपलब्ध थीं जो आंवले को संसाधित कर सकती थीं लेकिन लागत प्रभावी साबित नहीं हुई।

विदेश में भी बिकती हैं इनकी बनायी मशीनें

धर्मवीर कंबोज ने फल और सब्जी प्रसंस्करण मशीनों को न केवल सस्ती, बल्कि आकस्मिक खतरों से मुक्त बनाने के तरीकों के बारे में सोचना शुरू किया। काटने , झंझरी, रस निकालने और चूर्ण बनाने में कई तकनीकें इस्तेमाल की। इसी के तहत उन्हें एक ऐसी मशीन का विचार आया जो इन सभी कार्यों के लिए समान रूप से अच्छी तरह से काम कर सकती है। इसी के चलते धर्मवीर ने ऐसी मशीन बनाई जो कई कार्य कर सकती है। धर्मवीर कंबोज द्वारा बनाई गई यह मशीन कई देशों में खरीदी जा चुकी है। इस अनूठे कारनामे के बाद राष्ट्रपति ने किसान धर्मवीर कंबोज को 21 दिन तक राष्ट्रपति भवन में अपना मेहमान बना कर भी रखा था। धर्मवीर ने कई और मशीनें बनाई हैं जो देश ही नहीं विदेशों में भी खरीदी जा रही हैं।

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