हरियाणा में आंगनबाड़ी कर्मियों का मानदेय बढ़ा
सीएम मनोहर लाल ने किया ऐलान/ रिटायरमेंट पर एक लाख की जगह मिलेंगे 2 लाख
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 18 नवंबर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं के मासिक मानदेय और रिटायरमेंट पर मिलने वाली राशि में वृद्धि करने सहित कई घोषणाएं की। उन्होंने 10 वर्ष से अधिक अनुभव वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का पारिश्रमिक 12,661 से बढ़ाकर 14,000 रुपये प्रतिमाह करने का ऐलान किया। इसी तरह, 10 वर्ष तक के अनुभव वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और मिनी-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का पारिश्रमिक 11,401 से बढ़ाकर 12,500 रुपये, जबकि आंगनबाड़ी सहायिकाओं का पारिश्रमिक 6,781 से बढ़ाकर 7500 रुपये किया जाएगा।
इन घोषणाओं के बाद हरियाणा, देशभर में आंगनबाड़ी कर्मचारियों को सर्वाधिक मानदेय देने वाला राज्य बन गया है। सीएम ने विशेष चर्चा कार्यक्रम के तहत ऑडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ सीधे संवाद के दौरान यह घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 23,486 आंगनबाड़ी वर्कर्स, 489 मिनी आंगनबाड़ी वर्कर्स और 21,732 आंगनबाड़ी हेल्पर्स कार्यरत हैं।
मुख्यमंत्री ने सेवानिवृत्ति पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली एक लाख रुपये की राशि बढ़ाकर 2 लाख और आंगनबाड़ी सहायिकाओं को 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने की भी घोषणा की। वृद्धि पहली नवंबर, 2023 के बाद होने वाली सेवानिवृत्ति पर प्रभावी होगी। प्रतिवर्ष दो वर्दी के लिए दी जाने वाली राशि 800 से बढ़ाकर 1500 रुपये करने की भी घोषणा की गयी।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की आयुक्त एवं सचिव अमनीत पी. कुमार, निदेशक मोनिका मलिक, मुख्यमंत्री के उपप्रधान सचिव के. मकरंद पांडुरंग और सूचना, लोकसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) गौरव गुप्ता उपस्थित थे।
प्रमोशन से भरे जाएंगे पर्यवेक्षकों के 25% पद
मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 साल के अनुभव वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में से योग्यता-सह-वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति के लिए पर्यवेक्षकों के 25 प्रतिशत पद अलग रखे जाएंगे। पदोन्नति लिखित परीक्षा के आधार पर होगी, जो फरवरी, 2024 में आयोजित की जाएगी।
4000 अतिरिक्त बाल वाटिकाएं होंगी स्थापित
मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि राज्य सरकार मौजूदा आंगनबाड़ियों को परिवर्तित करके 4000 अतिरिक्त बाल वाटिकाएं स्थापित करेगी। उन्हें गांवों के सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा, ताकि प्री-स्कूल (नर्सरी) शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार स्कूली शिक्षा में एकीकृत किया जा सके। प्रदेश में पहले ही 4000 आंगनबाड़ियों को प्ले-वे स्कूल या बाल वाटिका में बदला जा चुका है।

