चंडीगढ़, 9 जुलाई (ट्रिन्यू)
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर चाहते हैं कि पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे एसवाईएल नहर विवाद को सुलझाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हस्तक्षेप करें। उनका मानना है कि केंद्र के दखल के बिना इस समस्या का हल नहीं निकल सकता। साथ ही, उन्होंने बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) के सदस्यों की नियुक्ति पहले की तरह जारी रखने और पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में हरियाणा का हिस्सा बहाल करने की मांग की है। शनिवार को जयपुर में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक में मुख्यमंत्री ने हरियाणा से जुड़े मुद्दों को उठाया। उन्होंने हरियाणा विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में ही अलग से जमीन दिए जाने की मांग की। इसे शाह ने तुरंत स्वीकार करते हुए ऐलान किया कि हरियाणा को नई विधानसभा के लिए जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी। सीएम ने कहा कि एसवाईएल का मसला काफी पुराना और गंभीर है।
बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित, लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शामिल रहे। सीएम ने कहा कि एसवाईएल नहर न बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान जाता है। हरियाणा को केंद्र सरकार के 24 मार्च, 1976 के आदेशानुसार रावी-ब्यास के सरप्लस पानी में भी 3.50 मिलियन एकड़ फुट हिस्सा आबंटित किया गया है। एसवाईएल मुद्दे को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने 6 मई, 2022 को भी पत्र लिखकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने को कहा था। इसके लिए गृह मंत्री को भी एक अर्धसरकारी पत्र लिखा गया है। पंजाब के सीएम को अभी तक तीन अर्ध-सरकारी पत्र लिखकर बैठक के लिए कहा गया है, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। अब पंजाब में नई सरकार का गठन हो चुका है। सीएम ने गृह मंत्री से आग्रह किया कि वे जल्द बैठक करवाएं ताकि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिल सके।
सीएम ने कहा, एक ओर पंजाब से हमें पानी नहीं मिल रहा, दूसरी ओर दिल्ली हमसे अधिक पानी की डिमांड कर रहा है। हरियाणा को भाखड़ा मेन लाइन नहर से भी 700 से 1000 क्यूसेक कम पानी मिल रहा है। राज्यों के प्रमुख अभियंताओं और बीबीएमबी के अधिकारियों की कमेटी ने भी यह पाया है कि बीएमएल के संपर्क बिंदू आरडी-390000 पर हरियाणा को पानी का कम वितरण किया है। कमेटी ने अब हैड से लेकर भागीदार राज्यों के सभी संपर्क बिंदुओं तक संपूर्ण वितरण प्रणाली के लिए गेज/डिस्चार्ज कर्व लगाने के लिए नवीनतम डिस्चार्ज मेजरमेंट तकनीकों के साथ कोई तीसरी एजेंसी नियुक्त करने का सुझाव दिया है। विभिन्न संपर्क बिंदुओं पर एससीएडीए प्रणाली स्थापित की जा सकती है ताकि सभी भागीदार राज्यों द्वारा गेज से वास्तविक डाटा देखा जा सके।
बीबीएमबी में हो हरियाणा का भी सदस्य
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा से सदस्य (सिंचाई) का नामांकन पंजाब के सदस्य (विद्युत) की तर्ज पर पिछली परंपरा अनुसार ही जारी रखा जाए। यदि पिछले लगभग 56 वर्षों से चली आ रही प्रक्रियाओं में दखलअंदाजी होती है तो इससे विशेष रूप से सतलुज-ब्यास नदी जल बंटवारे के संदर्भ में हरियाणा के हित प्रभावित होंगे। यदि बीबीएमबी के पूर्णकालिक सदस्य सहभागी राज्यों से बाहर के होंगे, तो वे स्थानीय मुद्दों और समस्याओं को समझने में सक्षम नहीं होंगे। अतः बोर्ड में सदस्य (सिंचाई) हरियाणा से और सदस्य (बिजली) पंजाब से नियुक्त करने के अतिरिक्त एक तीसरा सदस्य (कार्मिक) भी नियुक्त किया जा सकता है। यह तीसरा सदस्य राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से बारी-बारी से नियुक्त किया जा सकता है।
इको सेंसिटिव जोन : यूटी की रिपोर्ट सही नहीं
हरियाणा में सुखना अभ्यारण्य के आसपास इको-सेंसिटिव जोन में शामिल किए जाने वाले क्षेत्र में लगभग 72 प्रतिशत पहले से ही भारतीय वन अधिनियम-1927 के तहत अधिसूचित वन क्षेत्र है। लगभग 9 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र है, इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है। लगभग 19 प्रतिशत निजी क्षेत्र है, जो पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम की धारा-4 के तहत अधिसूचित है। भारतीय वन अधिनियम के तहत अधिसूचित वन क्षेत्र में प्रतिबंध इको-सेंसिटिव जोन के तहत लगाए गए प्रतिबंधों की तुलना में अधिक सख्त हैं। रक्षा क्षेत्र भी किसी अनियोजित विकास के खतरों से सुरक्षित है। निजी क्षेत्र में वृक्षों की कटाई का नियमन विद्यमान है और वन विभाग से स्पष्ट अनुमोदन के बिना कोई पेड़ नहीं काटा जा सकता। केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ द्वारा व्यक्त की गई चिंता हरियाणा के संदर्भ में सही नहीं है। जहां तक हरियाणा की तरफ इको-सेंसिटिव जोन की अधिसूचना का संबंध है तो इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार कर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को जल्द ही भेजा जाएगा।
पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्सा हो बहाल
मुख्यमंत्री ने बैठक में पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को बहाल करने की मांग भी की। साथ ही, कहा कि चंडीगढ़ के साथ लगते हरियाणा के कॉलेजों की संबद्धता भी इस विश्वविद्यालय से की जाए। पंजाब विवि में हरियाणा का हिस्सा पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 के तहत प्रदान किया गया था। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पहली नवंबर, 1973 को एक अधिसूचना जारी कर इसे समाप्त कर दिया गया था। इससे पहले अम्बाला जिले के कॉलेज इससे संबद्ध थे।
हिमाचल से जाेड़ने वाला हाईवे बनेगा
सीएम ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-105 के शीघ्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। इसकी लंबाई 31.71 किलोमीटर है। इसमें से 13.30 किलोमीटर हाईवे हरियाणा में पड़ता है। परियोजना के लिए 18.6399 हैक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण पंचकूला के जिला राजस्व अधिकारी द्वारा किया जा चुका है। भूमि का कब्जा लेने के बाद काम शुरू होगा।