हकृवि प्रकरण : स्वेच्छा मृत्यु के लिए राष्ट्रपति को भेजा पत्र
कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 16 जून
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (हकृवि) में लाठीचार्ज के विरोध में चल रहा छात्र आंदोलन सोमवार को सातवें दिन भी शांतिपूर्ण ढंग से जारी रहा। पहली बार मीडिया से सीधे संवाद करते हुए छात्रों ने स्पष्ट किया कि कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज के रहते वे स्वयं को असुरक्षित महसूस करते हैं और उनकी पहली मांग कुलपति के इस्तीफे की है।
छात्रों ने कहा कि एक व्यक्ति जिसने अपनी गाड़ी से छात्रों को कुचलने की कोशिश की हो, घायल छात्रों से न मिला हो, वह विश्वविद्यालय की कमान संभालने के लायक नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विवि प्रशासन उनकी आवाज दबाने के लिए झूठे आंकड़े और बयान जारी कर रहा है। विश्वविद्यालय ने दावा किया कि सोमवार को 50 से अधिक छात्रों ने परीक्षा दी, जबकि छात्रों का कहना है कि 1700 में से केवल 13 छात्र परीक्षा केंद्र तक पहुंचे और इनमें भी 9 विदेशी विद्यार्थी थे। छात्रों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखते हुए कहा कि वे सात दिन से शांतिपूर्वक विरोध कर रहे हैं, लेकिन उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है। मेडिकल रिपोर्ट तक से छेड़छाड़ की जा रही है और परीक्षा को आंदोलन दबाने के हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। जब लोकतांत्रिक अधिकार और न्याय नहीं मिलता, तो यह जीवन बोझ लगने लगता है। उन्होंने लिखा कि प्रोफेसरों की लाठियों से मरने से बेहतर है हम स्वयं जीवन त्याग दें। कृपया हमें इसके लिए अनुमति दी जाए। प्रदर्शन स्थल पर छात्रों ने कुलपति की तस्वीर वाला पुतला बनाकर उसका प्रतीकात्मक रूप से उसका दहन किया।
महिला छात्रावास में पुरुष पुलिसकर्मी भेजे जाने पर आपत्ति
बावल स्थित कृषि महाविद्यालय की छात्राओं ने आरोप लगाया कि सोमवार को विवि प्रशासन ने छात्रावास में पुरुष पुलिसकर्मी भेजे, जो उन्हें जबरन परीक्षा देने के लिए लेकर आए। छात्राओं ने इसे न केवल निजता का उल्लंघन बताया बल्कि तानाशाही करार दिया। जेजेपी नेता दिग्विजय चौटाला ने इसे महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बताया, वहीं पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा की और मांग की कि दर्ज केस तुरंत वापस लिए जाएं।
प्रशासन का पक्ष और छात्रों की प्रतिक्रिया
विवि के अनुसंधान निदेशक प्रोफेसर राजबीर गर्ग की तरफ से सोमवार को विवि प्रशासन ने वीडियो जारी बयान दिया कि विद्यार्थियों की मांगें मान ली है और विद्यार्थी बातचीत के लिए टेबल पर आएं। बातचीत न करने की जिद्द से कभी समाधान नहीं होगा। साथ ही कहा कि सोमवार की परीक्षा में 50 से ज्यादा विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया और सफल रही। मंगलवार को भी परीक्षा होगी। छात्रों ने इस पर जवाब दिया कि बातचीत सभी छात्रों की मौजूदगी में खुले में होनी चाहिए, न कि प्रशासन के एकतरफा दबाव में।