हिसार, 24 जून (निस)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (हकृवि) पराली प्रबंधन में नेपाल का सहयोग करेगा। इसके लिए यह विश्वविद्यालय नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय के साथ एक एमओयू करके वहां के वैज्ञानिकों को पराली प्रबंधन संबंधी तकनीकी ज्ञान हस्तांतरित करेगा। यह निर्णय नेपाल के एक शिष्टमंडल की हकृवि के कुलपति प्रो बीआर काम्बोज के साथ हुई बैठक में लिया गया।
नेपाल का यह शिष्टमंडल पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए पराली प्रबंधन को लेकर उपयुक्त तकनीकी एंव मशीनों की जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से हकृवि के दौरे पर आया। सात सदस्यीय शिष्टमंडल का नेतृत्व नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी संस्थान के विभागाध्यक्ष जावेद आलम कर रहे हैं।
बता दें कि नेपाल में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग द्वारा समर्थित एकीकृत स्ट्रॉ प्रबंधन पर पायलट परियोजना कार्यन्वित की जा रही है। इस परियोजना के प्रमुख कार्यान्वयन भागीदारों में नेपाल के कृषि इंजीनियरिंग विभाग, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, कृषि विभाग, नेपाल कृषि अनुसंधान परिषद और कृष्ण धन उद्योग (स्ट्रॉ ब्लॉक के निर्माता) को शामिल किया गया है।
कुलपति प्रो बीआर काम्बोज ने कहा कि स्ट्रॉ बर्निंग एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों के लिए चिंता का विषय है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। यहां विशेषकर धान उत्पादक प्रान्तों में यह गंभीर समस्या है। उन्होंने कहा हरियाणा में इस समस्या से निपटने के लिए सरकार बहुत गंभीरता से कार्य कर रही है।
इस मौके पर कुलपति ने नेपाली शिष्टमंडल को पराली प्रबंधन के क्षेत्र में हरसंभव तकनीकी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया तथा त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की बात कही, जिसके तहत भविष्य में दोनों विश्वविद्यालय आपस में मिलकर अनुसंधान कार्य कर सकेंगे, जिससे पराली प्रबंधन की समस्या का समाधान निकल सकेगा।
इससे पूर्व विश्वविद्यालय पहुंचने पर इस नेपाल के शिष्टमंडल का कृषि अभियान्त्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ बलदेव डोगरा व स्टॉफ ने स्वागत किया।