हिसार, 10 मई (हप्र)
पेट्रोल पंप प्रबंधक सहित दो की हत्या व एक पर जानलेवा हमला करने के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले दोषी भवानी ने अपनी बुजुर्ग मां व डेढ़ साल के बच्चे की उम्र का हवाला देकर जिला अदालत से अपनी सजा में रहम की गुजारिश की थी। लेकिन अदालत ने यह कहते हुए रहम से मना कर दिया कि इससे जनता के कानून का विश्वास कमजोर होता है। सजा पर बहस के दौरान दोषी की तरफ से उसके अधिवक्ता ने कहा कि वह गरीब आदमी और शादीशुदा है। उसका डेढ़ साल का एक बेटा भी है। उसके पिता की मौत हो चुकी है और अपनी बुजुर्ग मां की देखभाल करने वाला वह अकेला व्यक्ति है।
इस पर अदालत ने शैलेश जसवंतभाई बनाम गुजरात राज्य, 2006 के केस का हवाला देते हुए कहा कि सजा प्रक्रिया को जहां कठोर होना चाहिए वहां पर कठोर होना चाहिए और जहां पर दया दिखानी चाहिए, वहां पर दया दिखानी चाहिए। इसलिए, सजा प्रणाली में, कानून को तथ्यात्मक मैट्रिक्स के आधार पर निवारक पर सुधारात्मक तंत्र को अपनाना चाहिए। अदालत ने कहा कि अपर्याप्त सजा देने के लिए अनुचित सहानुभूति न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान पहुंचाएगी और कानून के प्रभाव में जनता के विश्वास को कमजोर करेगी और समाज इस तरह के गंभीर खतरों को लंबे समय तक सहन नहीं कर सकता है। इसलिए, न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह अपराध की प्रकृति और उसके तरीके को ध्यान में रख कर सजा सुनाए।
मृतकों के परिजनों को मुआवजे की सिफारिश
अदालत ने मृतक हनुमान और बृजेश के परिजनों को हरियाणा पीड़ित मुआवजा योजना के तहत मुआवजा देने की भी सिफारिश की है। अदालत ने मुआवजे के लिए यह मामला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजा है।