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देवीलाल परिवार के लिए वाटरलू साबित हुआ है हिसार

लोकसभा चुनाव में इस बार रोचक मुकाबला, रिश्ते होंगे दांव पर
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रणजीत सिंह, अजय चौटाला, सुनैना चौटाला
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  • ताऊ परिवार यहीं से चुनावी घमासान में ठोक रहा ताल 
  • रणजीत चौटाला के मुकाबले आ सकती हैं परिवार की ही बहुएं
  • इनेलो से सुनैना और जजपा से नैना चौटाला के नाम की चर्चा

जसमेर मलिक/हप्र

जींद, 30 मार्च

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हिसार लोकसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला रोचक होने वाला है। 2019 में यहां से सांसद चुने गए बृजेंद्र सिंह के भाजपा छोड़ने के बाद इस बार पार्टी ने राज्य के बिजली व जेल मंत्री चौ़ रणजीत सिंह को चुनावी रण में उतारा है। इस चुनाव में देवीलाल परिवार के रिश्ते भी दांव पर लग सकते हैं। इनेलो द्वारा रणजीत सिंह के मुकाबले सुनैना चौटाला और जजपा की ओर से बाढ़डा विधायक नैना चौटाला को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। यानी हिसार में देवीलाल परिवार की दो बहुएं अपने ही चाचा ससुर के मुकाबले चुनावी जंग लड़ती नज़र आ सकती हैं।

2009 के परिसीमन से पहले जींद जिले के आधिपत्य वाली हिसार लोकसभा सीट पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ़ देवीलाल के परिवार के लिए एक अपवाद को छोड़कर वाटर-लू साबित हुई है। इस बार यह देखना रोचक रहेगा कि हिसार सीट देवीलाल परिवार के लिए इस बार भी वाटर-लू साबित होती है या 2014 में दुष्यंत चौटाला के यहां से इनेलो की टिकट पर सांसद बनने वाला इतिहास दोहराया जाता है।

हिसार लोकसभा सीट जींद, भिवानी और हिसार तीन जिलों में फैली है। 2009 के परिसीमन से पहले हिसार संसदीय सीट जींद और हिसार दो जिलों तक सीमित थी। तब हिसार से ज्यादातर सांसद जींद जिले से बने थे। इसकी शुरुआत 1977 में जींद जिले के उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र के डूमरखा कलां गांव के इंद्र सिंह श्योकंद से हुई थी, जो जनता पार्टी की टिकट पर हिसार से सांसद बने थे।

1984 में डूमरखा कलां गांव के बीरेंद्र सिंह कांग्रेस टिकट पर हिसार से सांसद बने, तो 1989 में जींद के जयप्रकाश उर्फ ‘जेपी’ जनता दल की टिकट पर सांसद चुने गए थे। 1991 में जींद के मास्टर नारायण सिंह कांग्रेस टिकट पर हिसार से सांसद बने थे। 1996 में जयप्रकाश उर्फ जेपी ने हिसार से हरियाणा विकास पार्टी की टिकट पर जीत हासिल की थी। 1998 और 1999 में जींद के सुरेंद्र बरवाला हिसार से इनेलो की टिकट पर सांसद बने। 2004 में जींद के जयप्रकाश उर्फ जेपी हिसार से कांग्रेस टिकट पर सांसद चुने गए थे।

2009 में नये परिसीमन में लोकसभा चुनाव हुए तो जींद जिले के जींद विधानसभा क्षेत्र को सोनीपत में और नरवाना को सिरसा में शामिल कर दिया गया था, जबकि जींद के राजौंद विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया था। पूर्व सीएम भजनलाल हिसार से 2009 में हजकां की टिकट पर सांसद चुने गए थे। उनके निधन के बाद 2010 में हुए हिसार संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई हिसार से हजकां की टिकट पर सांसद बने थे।

चौटाला ने भी आजमाई थी किस्मत

चौ़ देवीलाल के बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने 1984 में हिसार से लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़ा था। वे कांग्रेस के बीरेंद्र सिंह के हाथों भारी मतों के अंतर से पराजित हुए थे। इसके बाद 1998 में कांग्रेस की टिकट पर हिसार से चौ़ देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत चौटाला चुनावी दंगल में उतरे थे, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। 2010 में हिसार संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे और चौधरी देवीलाल के पोते अजय सिंह चौटाला ने इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वे कुलदीप बिश्नोई से हार गए थे।

अभी तक दुष्यंत ही पहुंचे संसद

देवीलाल परिवार में दुष्यंत चौटाला अकेले ऐसे नेता हैं, जो हिसार का प्रतिनिधित्व संसद में कर चुके हैं। 2014 में हिसार से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे दुष्यंत उस समय लोकसभा के सबसे युवा सांसद थे। हालांकि इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनावों में दुष्यंत को भाजपा के बृजेंद्र सिंह के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा।

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