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हिसार जिले को मिला पहला वन्य जीव आरक्षित क्षेत्र

हरियाणा सरकार ने किया गांव चौधरीवाली को सामुदायिक रिजर्व क्षेत्र घोषित
आरक्षित वन क्षेत्र।
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हिसार, 2 मार्च (हप्र) हरियाणा सरकार ने हिसार में जिले का पहला सामुदायिक रिजर्व के चौधरीवाली गांव में चौधरीवाली सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र घोषित किया है जिसमें हिरण, मोर, सांडा अर्थात स्पाइनी-टेल्ड लिजार्ड और मरूस्थलीय लोमड़ी डेजर्ट फॉक्स, जंगली बिल्ली, गीदड़ और बहुत से पक्षियों व कछुओं जैसे वन्यजीवों के संरक्षण होगा।ग्राम पंचायत ने कुलदीप डेलू़ की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस बारे में प्रस्ताव पारित करके सरकार को भेजा गया था। गांव की गौशाला के पास यह सामुदायिक रिजर्व 150 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय जैव विविधता को संरक्षित करना और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित करना है। ग्रामवासियों की मांग व पंचायत प्रस्ताव के अनुसार डिजिटल मानचित्र और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के साथ उपायुक्त हिसार और आदमपुर के पूर्व विधायक भव्य बिश्नोई की अनुशंसा सहित मामला सरकार को भेजा गया। राज्य सरकार ने इस इलाकें में समुदाय के प्रयासों को महत्व देते हुए आरक्षित क्षैत्र घोषित किया गया।

वन्य जीवों पर काम करने वाले एक्टिविस्ट विनोद कड़वासरा द्वारा तैयार की गई 100 पेजों से अधिक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में इस इलाके के सभी प्रकार के जीव जंतुओं और पेड़ पौघों का सचित्र विवरण दिया गया है, जिन्होंने जैव विविधता संरक्षण में अपने लंबे अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए इस परियोजना को आकार दिया है।

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वन्यजीव संरक्षण में गत दशक से प्रयासरत वन्यजीव संरक्षक विनोद कड़वासरा ने बताया कि स्थानीय बिश्नोई समाज की भावनाओं के अनुरूप इस आरक्षित क्षेत्र को चैधरीवाली सामुदायिक आरक्षित क्षत्र घोषित किया गया है। इस इलाके में चौधरीवाली गांव में बिश्नोई पंथ के अनुयायी रहते है जिसके चलते इलाका अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए विशेष महत्व रखता है। यहां देसी किकर, खेजड़ी, कैर, जंगली बेर जैसे पौधे और चिंकारा, मोर, डेजर्ट फॉक्स और स्पाइनी-टेल्ड लिजार्ड जैसे वन्यजीव पाए जाते हैं। यह क्षेत्र बिश्नोई समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से गहराई से जुड़ा है, जो सदैव प्रकृति और वन्यजीव संरक्षण में अग्रणी रहे हैं।

यह होगा फायदा

जमीन का मालिकाना हक ग्राम पंचायत का ही रहेगा लेकिन अब भूमि प्रयोग को नहीं बदला जा सकेगा। वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के प्रावधानों अनुसार प्रबंधन समिति का गठन करके प्रस्ताव उचित माध्यम से सरकार को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। प्रबंधन समिति में गांव से कम से कम पांच सदस्य, समुदाय प्रतिनिध और जिला वन्यप्राणी विभाग प्रभारी सचिव के रूप में रहेगा। प्रबंधन समिति के सुझावों अनुसार ही इस इलाके की प्रजातियों के लिए संरक्षण योजना तैयार करके सरकार को भेजी जाएगी। भविष्य की योजनाओं में जलाशयों का निर्माण, हिरणों को बचाने के लिए शिकारी कुतों पर नियंत्रण व नसबंदी, हिरणों के लिए ग्रासलैंड तैयार करना, क्षेत्रीय वनस्पतियों का पुनरुत्थान और स्थानीय समुदाय को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान शामिल हैं।

अन्य जिलों के लिए मॉडल बनेगा: गर्ग

वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक विनीत गर्ग ने कहा कि चौधरीवाली सामुदायिक रिजर्व वन्यजीव संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और स्थानीय समुदाय के संरक्षण कार्यों को सरकार ने आरक्षित क्षेत्र घोषित करके नई पहचान दी है। वन्यजीव प्रेमियों द्वारा इसे सरंक्षित करवाने का यह कदम न केवल क्षेत्रीय जैव विविधता को संरक्षित करेगा, बल्कि अन्य जिलों और राज्यों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल भी बनेगा।

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