दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 30 मार्च
हरियाणा के माननीय हायर एजुकेशन के लिए अपने-अपने एरिया में कॉलेज की मांग तो जोर-शोर से उठाते हैं, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या को लेकर बेखबर हैं। प्रदेश में 16 सरकारी और 10 एडेड कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 200 से कम है। इनमें से 11 कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें विद्यार्थियों का आंकड़ा 100 भी नहीं है। यह वह ‘कड़वा सच’ है, जो सरकार की शिक्षा नीति पर भी सवाल उठाता है और जनप्रतिनिधियों की गंभीरता पर भी प्रश्न-चिह्न खड़े कर रहा है।
भिवानी के इसरवाल कॉलेज में कुल 175 विद्यार्थी हैं तो हिसार के अग्रोहा कॉलेज में 118 ही विद्यार्थियों ने दाखिला लिया। झज्जर के जसौर खेड़ी में 136 तो कुलाना गांव के कॉलेज में 166 विद्यार्थी हैं। जींद के छातर कॉलेज में 112, कैथल के लदाना चाकू में 95 व राजौंद कॉलेज में 95 विद्यार्थी हैं। इसी तरह से करनाल के जुंडला में 163, फिरोजपुर-झिरका में 116, सिरसा के गौरीवाला में 99, यमुनानगर के प्रताप नगर कॉलेज में विद्यार्थियों की संख्या 95 है। मोरनी में महज 17 ही विद्यार्थी हैं।
प्रदेश सरकार ने हर 20 किमी. की दूरी पर कॉलेज खोलने का ऐलान किया हुआ है। बेशक, यह कॉलेज सरकार की बजाय प्राइवेट या एडेड भी हो सकता है, लेकिन नये 46 कॉलेजों के पास खुद के भवन तक नहीं हैं। इनमें से कई स्कूलों की बिल्डिंग में चल रहे हैं तो कई जगहों पर प्राइवेट इमारतों में कक्षाएं लगती हैं। कॉलेज खोलने का ऐलान तो सरकार ने कर दिया, लेकिन उनके लिए बिल्डिंग अभी तक तैयार नहीं हुई। जिन कॉलेजों के खुद के भवन नहीं हैं, उनमें अम्बाला शहर का कॉलेज 2012-13 से तो करनाल के असंध का कॉलेज 2014-15 से चल रहा है। 2018-19 में मौजूदा सरकार द्वारा शुरू किए गए 19 कॉलेज ऐसे हैं, जो अभी भी भवनों का इंतजार कर रहे हैं। मौजूदा सरकार ने 2019-20 के दौरान आठ नये कॉलेजों में पढ़ाई तो शुरू करवा दी, लेकिन विद्यार्थियों को बैठने का स्थाई ठिकाना नहीं मिला।
10 ऐसे एडेड कॉलेज जहां स्टूडेंट्स की संख्या 200 से कम
प्रदेश में 10 ऐसे एडेड कॉलेज हैं, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 200 से कम है। डीएवी निनौला (अम्बाला) में 112, भिवानी के महाराणा प्रताप महिला काॅलेज में 198, गुरुग्राम के डीजीपी डिग्री कॉलेज में 12, इंडियन स्कूल ऑफ हॉस्पिटिलिटी शिखोपुर (गुरुग्राम) में 99, हिसार के पनिहर चक स्थित आशा गर्ल्ज कॉलेज में 83, मंडी आदमपुर के गुरु द्रोणाचार्य कॉलेज में 163, इंडस डिग्री कॉलेज (जींद) में 97, करनाल के बुद्धा कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन में 140 तथा करनाल के ही ग्रीनवुड डिग्री कॉलेज में 124 विद्यार्थी हैं। उधर, भाजपा सरकार ने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए मुहिम छेड़ी। इस कड़ी में पंचकूला में श्रीमाता मनसा देवी संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की गई। तमाम प्रयास के बाद भी इस कॉलेज में महज 22 ही विद्यार्थियों ने दाखिला लिया। इनमें 3 छात्राएं और 19 छात्र शामिल हैं।
15 ऐसे कॉलेज जिनके पास अपने भवन नहीं, 127में मुखिया नहीं
2019-20 के दौरान के 15 कॉलेजों को अपने भवन का इंतजार है। 127 सरकारी कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें मुखिया नहीं हैं। यानी इन कॉलेजों में स्थाई प्रिंसिपल नहीं हैं। इनमें अम्बाला जिले के 5, भिवानी, दादरी व फरीदाबाद के 4-4, फतेहाबाद में 5, हिसार के 7, झज्जर के 11, जींद के 7, करनाल के 10, कैथल के 4, कुरुक्षेत्र के 3, महेंद्रगढ़ के 14, नूंह के 4, पंचकूला के 5, पानीपत के 2, पलवल के 6, रेवाड़ी के 11, रोहतक के 2, सिरसा के 5, सोनीपत के 7 तथा यमुनानगर जिले के 5 कॉलेज शामिल हैं।
विपक्षी विधायक बोले
‘शिक्षा की गुणवत्ता के नाम पर मजाक हो रहा है। कॉलेजों में स्टाफ नहीं है। विद्यार्थियों की संख्या तब बढ़ेगी जब सुविधाएंऔर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा होगी।’
-गीता भुक्कल, पूर्व शिक्षा मंत्री
‘नये कॉलेजों की महज घोषणा की गई है। 4 दर्जन कॉलेजों में भवन नहीं हैं। प्रिंसिपल व स्टाफ नहीं हैं। खाली पदों पर भर्ती नहीं हुई है।’
-जगबीर सिंह मलिक, विधायक गोहाना
शिक्षा मंत्री ने कहा
‘हर 20 किमी पर कॉलेज की योजना है। कॉलेजों के भवनों पर काम चल रहा है। प्रदेश में मैपिंग कराई जाएगी, जिससे भवन व स्टाफ की कमी दूर हो सके।’
-कंवर पाल गुर्जर, शिक्षा मंत्री