हाई कोर्ट ने की हरियाणा CET के खिलाफ एक और याचिका खारिज, HSSC चेयरमैन ने किया दावा
Haryana CET: हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) की तरफ से 26 और 27 जुलाई को आयोजित की गई कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) परीक्षा पर उठाए गए सवालों पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक और याचिका खारिज कर दी है। आयोग के सदस्य भूपेंद्र चौहान ने बताया कि यह याचिका एक अभ्यर्थी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि परीक्षा के दौरान उसके सहायक लेखक को बैठने की अनुमति नहीं दी गई।
आयोग के चेयरमैन हिम्मत सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर हाई कोर्ट के इस फैसले की जानकारी दी। जांच में यह तथ्य सामने आया कि अभ्यर्थी ने अपने ऑनलाइन आवेदन पत्र में सहायक लेखक के लिए ‘नहीं’ विकल्प चुना था। नियमों के अनुसार, ऐसी स्थिति में सहायक लेखक की अनुमति नहीं दी जाती। इसके बावजूद अभ्यर्थी के हित में आयोग ने मौके पर उसे सहायक लेखक उपलब्ध करवाने की अनुमति दी थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सहायक लेखक ने स्वयं परीक्षा देने से इनकार कर दिया। इसके बाद अभ्यर्थी अदालत पहुंचा, परंतु हाई कोर्ट ने तथ्यों के आधार पर आरोपों को निराधार मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
सीईटी परीक्षा परिणाम में देरी और पुनः परीक्षा कराने की मंशा से अभ्यर्थी द्वारा किए गए तथ्यहीन याचिका को माननीय उच्च न्यायालय ने आज खारिज कर दिया। pic.twitter.com/tbbYowegXj
— Himmat Singh (@advhimmatsingh) September 5, 2025
रिज़ल्ट जल्द, अभ्यर्थी न करें चिंता
आयोग सदस्य चौहान ने कहा कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पूरी की जा रही है। रिज़ल्ट में देरी या पुनः परीक्षा कराने की नीयत से कुछ लोग अदालत का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं। लेकिन अब तक दायर अधिकांश याचिकाएं निराधार साबित हुई हैं और अदालत द्वारा खारिज की जा चुकी हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभ्यर्थियों को किसी भी प्रकार की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है और आयोग जल्द ही परिणाम घोषित करेगा।
पहले भी उठ चुके हैं सवाल
गौरतलब है कि हरियाणा में सीईटी परीक्षा, ग्रुप-सी और ग्रुप-डी भर्तियों के लिए अनिवार्य है। पिछली बार भी इस परीक्षा पर सवाल उठे थे और कई अभ्यर्थियों ने कदाचार व अव्यवस्थाओं का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। हालांकि अधिकांश मामलों में अदालत ने आयोग की प्रक्रिया को सही माना और याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस बार भी परीक्षा संपन्न होने के बाद लगातार कुछ याचिकाएं दायर की गईं, जिन्हें अदालत तथ्यों के आधार पर नकार चुकी है।