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जिलों में हाई अलर्ट, अफसरों को सौहार्द बनाए रखने के सख्त निर्देश

डीसी-एसपी को पत्र भेजा, संवेदनशील इलाकों में बढ़ाई गई निगरानी
मुख्यमंत्री नायब सैनी।
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हरियाणा में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद सियासी और सामाजिक तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। बढ़ते विरोध प्रदर्शनों और तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए हरियाणा सरकार ने राज्यभर में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। सरकार ने सभी उपायुक्तों (डीसी), पुलिस आयुक्तों (सीपी) और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को पत्र भेजकर कहा है कि वे हालात पर बारीकी से नजर रखें और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करें।

राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग (राजनीतिक शाखा-।) की ओर से यह पत्र गृह विभाग, पुलिस महानिदेशक, सभी आयुक्तों, जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को भेजा गया है। पत्र में कहा गया है कि आईपीएस वाई. पूरन कुमार की मृत्यु के बाद से जो घटनाक्रम सामने आए हैं, उन्हें देखते हुए सभी जिलों में शांति, सार्वजनिक व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

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सरकार ने निर्देश दिया है कि स्थानीय संगठनों, समुदाय के प्रतिनिधियों और सामाजिक नेताओं से निरंतर संवाद बनाए रखा जाए ताकि किसी तरह की अफवाह या गलतफहमी को फैलने से रोका जा सके। प्रशासन को कहा गया है कि किसी भी संवेदनशील घटना को तत्काल रिपोर्ट करें और स्थिति की समीक्षा के लिए विस्तृत रिपोर्ट भेजें। सभी जिलों में पुलिस गश्त बढ़ाने और संवेदनशील इलाकों में चौकसी कड़ी करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

31 सदस्यीय समिति का अल्टीमेटम

मृतक अधिकारी वाई. पूरन कुमार के परिवार को न्याय दिलाने के लिए बनी 31 सदस्यीय समिति ने सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था कि डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ कार्रवाई की जाए। सरकार रोहतक एसपी नरेद्र बिजारनिया को पहले ही पद से हटा चुकी है। अब डीजीपी शत्रुजीत कपूर को भी छुट्टी पर भेजा जा चुका है।

दलित संगठनों और विपक्ष का बढ़ता दबाव

मामले ने दलित संगठनों और विपक्ष को एकजुट कर दिया है। कई जिलों में धरने और विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। कांग्रेस सहित विपक्षी दल लगातार इस मुद्दे को उछाल रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि सरकार दलित अधिकारियों पर हो रहे भेदभाव को नजरअंदाज कर रही है। कांग्रेस ने हाल ही में कई जिलों में प्रदर्शन किया, जबकि कई दलित संगठन लगातार सड़कों पर न्याय की मांग कर रहे हैं।

सरकार सतर्क, कानून-व्यवस्था पर फोकस

विरोध प्रदर्शनों के मद्देनज़र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे जनता से संवाद बढ़ाएं, अफवाहों पर रोक लगाएं और किसी भी स्थिति में शांति भंग न होने दें। दरअसल, एडीजीपी सुसाइड केस अब सिर्फ एक प्रशासनिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। सरकार की कोशिश है कि बढ़ते तनाव के बीच हालात को नियंत्रण में रखा जाए और राज्य में शांति बनी रहे।

 

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