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सीवर मौतों पर सख्त हुआ HHRC, हांसी में हुए हादसे पर होटल मालिक, प्रशासन और पुलिस से मांगी रिपोर्ट

हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने हिसार जिले के हांसी में हुए दर्दनाक हादसे पर गंभीर संज्ञान लिया है। इसमंे दो सफाईकर्मियों की सेप्टिक टैंक में दम घुटने से मौत हो गई थी। आयोग ने कहा कि यह न केवल...
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हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने हिसार जिले के हांसी में हुए दर्दनाक हादसे पर गंभीर संज्ञान लिया है। इसमंे दो सफाईकर्मियों की सेप्टिक टैंक में दम घुटने से मौत हो गई थी। आयोग ने कहा कि यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि मानव गरिमा और श्रमिक अधिकारों का घोर हनन भी है।

हांसी के एक होटल में मोटर खराब होने पर दो कर्मचारी - सोमवीर (गांव गढ़ी) और वीरेंद्र (गांव जमावरी) को बिना किसी सुरक्षा उपकरण या गैस जांच के सेप्टिक टैंक में उतरने के लिए मजबूर किया गया। पहले कर्मचारी के बेहोश होने पर दूसरा उसे बचाने नीचे उतरा, लेकिन जहरीली गैसों के कारण दोनों की मौत हो गई। परिजनों ने होटल प्रबंधन पर जबरदस्ती और लापरवाही का आरोप लगाया है।

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आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) ललित बत्रा और सदस्य कुलदीप जैन व दीप भाटिया ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार केवल जीने का ही नहीं, बल्कि सुरक्षित और गरिमापूर्ण कार्यस्थल का भी अधिकार देता है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले ‘उपभोक्ता शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र बनाम भारत संघ (1995)’ का हवाला देते हुए कहा कि स्वास्थ्य और सुरक्षा भी मौलिक अधिकार हैं और नियोक्ताओं व प्रशासन का कर्तव्य है कि कामगारों को खतरनाक परिस्थितियों से बचाएं।

आयोग ने नोटिस में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने सफाई कर्मचारी आंदोलन बनाम भारत संघ (2014) मामले में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर या सेप्टिक टैंक में उतरना अपराध है और हर ऐसी मौत पर मृतक के परिवार को 10 लाख की क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए। साथ ही, हस्तचालित मैला ढोने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध एवं पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत इस तरह की खतरनाक सफाई पर पूर्ण प्रतिबंध है।

उल्लंघन करने वालों को दो साल तक की जेल या 2 लाख तक जुर्माना (पहली बार) और पांच साल तक की जेल या 5 लाख तक जुर्माना (दुबारा अपराध पर) का प्रावधान है। आयोग की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि होटल प्रबंधन ने प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति नहीं की। गैस परीक्षण और वेंटिलेशन की व्यवस्था नहीं थी। ऑक्सीजन सिलेंडर या बचाव दल उपलब्ध नहीं कराया और सफाई के लिए यांत्रिक साधन भी नहीं अपनाए।

आयोग ने कहा कि ऐसे कृत्य मनुष्यों को मशीन समझने और गैस चैंबर में भेजने जैसे हैं, जो किसी भी सभ्य समाज में अस्वीकार्य हैं। मानवाधिकार आयोग ने सरकार और प्रशासन से छह हफ्ते में रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने आदेश दिया है कि हिसार के डीसी मृतकों के परिजनों को दी गई क्षतिपूर्ति, राहत और पुनर्वास उपायों की विस्तृत रिपोर्ट दें। हांसी नगर परिषद को होटल का लाइसेंस, निरीक्षण रिपोर्ट और अधिनियम उल्लंघन की जानकारी देने को कहा है। हांसी के एसपी से इस मामले में दर्ज हुई एफआईआर, जांच और अब तक की प्रगति रिपोर्ट बारे पूछा है।

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