मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

सरकार की बेरुखी पर फूटा स्वास्थ्य कर्मचारियों का गुस्सा

एमपीएचडब्ल्यू की लंबित मांगों पर कार्रवाई नहीं, 6 नवंबर को होगा रोष प्रदर्शन
Advertisement
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में कार्यरत बहुउद्देश्यी महिला स्वास्थ्य कर्मचारी (एमपीएचडब्ल्यू-एफ) अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। एसोसिएशन ने साफ चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी जायज मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।राज्य प्रधान शर्मिला देवी और महासचिव सहदेव आर्य सांगवान ने कहा कि 6 नवंबर को पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर सिविल सर्जनों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके बाद भी अगर सरकार और आला अफसर जागे नहीं तो उसी दिन अगले बड़े आंदोलन की घोषणा की जाएगी। उन्होंने दो टूक कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने की जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी।

एसोसिएशन का कहना है कि वे कई सालों से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं और दर्जनों बार पत्राचार कर चुके हैं। 5 अगस्त को नेशनल हेल्थ मिशन के निमंत्रण पर प्रशासकीय निदेशक से वार्ता भी हुई थी, लेकिन समझौते के बाद भी आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया। इस लापरवाही से कर्मचारियों में भारी रोष है।

Advertisement

ये हैं मुख्य मांगें

एनएचएम कर्मचारियों के सेवा नियमों के अनुसार एमपीएचडब्ल्यू का ग्रेड पे 4200 लागू किया जाए। नियमित कर्मचारियों की तरह वर्दी भत्ता और यात्रा भत्ता दिया जाए। सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त राशि लागू हो। नियमित भर्ती में अनुभव के आधार पर वरीयता दी जाए।

25 अक्टूबर से ऑनलाइन रिपोर्टिंग का बहिष्कार

महासचिव सहदेव आर्य सांगवान ने बताया कि कर्मचारियों पर बिना संसाधन और बिना प्रशिक्षित स्टाफ दिए ऑनलाइन रिपोर्टिंग का नाजायज दबाव बनाया जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यक्रमों की जिम्मेदारी के साथ-साथ अतिरिक्त रिपोर्टिंग का बोझ कर्मचारियों को मानसिक तनाव में धकेल रहा है। इसी के विरोध में एसोसिएशन ने 25 अक्टूबर से प्रदेशभर में ऑनलाइन रिपोर्टिंग का पूर्ण बहिष्कार करने का एलान किया है। विभाग को इसकी अग्रिम सूचना भी भेज दी गई है।

 

Advertisement
Show comments