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10 साल से नहीं लड़ा चुनाव, आयोग बोला - सक्रिय रहो या बाहर हो जाओ

कागज़ी पार्टियों पर सख़्ती, प्रदेश के 15 दलों का रजिस्ट्रेशन संकट में
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हरियाणा में राजनीति की ज़मीन पर सक्रियता खो चुके 15 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल अब अस्तित्व के संकट में हैं। चुनाव आयोग ने इन दलों को एक बार फिर नोटिस जारी करते हुए साफ कर दिया है कि यदि एक सप्ताह में जरूरी दस्तावेज़ और जवाब दाखिल नहीं किए गए तो इनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा।

हरियाणा जैसे राजनीतिक रूप से सक्रिय राज्य में दर्जनों दल रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इनमें से कई ने पिछले दस साल से कोई चुनाव नहीं लड़ा। आयोग की यह सख़्ती अब इन दलों पर सीधा सवाल खड़ा कर रही है कि आखिर पार्टी बने लेकिन चुनाव मैदान में क्यों न उतरे। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ए़ श्रीनिवास द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि सभी दलों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1961 के तहत सुनवाई का अवसर दिया गया है।

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28 अगस्त तक अपना पक्ष नहीं रखने वाले दलों के पास आगे कुछ कहने का मौका नहीं बचेगा। सुनवाई 2 और 3 सितंबर को चंडीगढ़ में होगी। जुलाई में भी 21 दलों को नोटिस दिया गया था, लेकिन केवल छह ही कागज़ात जमा कर पाए। बाकी 15 दल अब अंतिम मौके पर हैं। इन दलों में झज्जर की ‘अपना राज फ्रंट’ और ‘हरियाणा स्वतंत्र पार्टी’ से लेकर गुरुग्राम की ‘मेरा गांव मेरा देश पार्टी’ और ‘हिंद समदर्शी पार्टी’ शामिल हैं।

रोहतक, फरीदाबाद, सोनीपत और करनाल की कई पार्टियां भी सूची में हैं। नाम चाहे बड़े हों लेकिन जनता से जुड़ाव न होने के कारण ये दल सिर्फ़ कागज़ों तक सिमटकर रह गए हैं। आयोग का यह कदम लोकतंत्र को ‘कागज़ी दलों’ से मुक्त कराने की कोशिश है। सक्रिय राजनीति के बिना दल का अस्तित्व सिर्फ़ रजिस्ट्रेशन तक सीमित रह जाता है। चुनाव आयोग का यह कदम व्यवस्था की सफ़ाई का हिस्सा है।

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