नरवाना (निस)
आर्य समाज नरवाना में पर्यावरण शुद्धि एवं समृद्धि के लिए यज्ञ-हवन किया गया। साप्ताहिक सत्संग में धर्मपाल आर्य ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र महाराज एवं महाराणा प्रताप के जीवन चरित्र का गुणगान किया। यशपाल आर्य ने ईश्वर स्तुति प्रार्थना के विधान को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया। आर्य समाज प्रधान चंद्रकांत आर्य ने कहा कि इतिहास से शिक्षा लेनी चाहिए। 1946 में सियालकोट हिंदू बहुल क्षेत्र था। जनमत सर्वेक्षण करवाया गया। जनमत सर्वेक्षण में मुसलमानों ने प्रात:काल से ही लम्बी पंक्तियां बनाकर भारी मतदान किया और हिंदू आलस्य और प्रमाद के कारण मतदान से बाहर रहा। परिणाम यह हुआ कि 55000 वोट से सियालकोट पाकिस्तान में चला गया। 1931 की जनगणना में सियालकोट में 2,53,000 हिंदू थे और 1951 की गणना में मात्र 10000 और आज वहां पर 500 हिंदू रह गए। इसलिए सभी मतदाताओं से अपने योग्य, समर्थ प्रत्याशी को चुनने के लिए मतदान में अवश्य भाग लेने का आह्वान किया। जयपाल सिंह आर्य ने कहा गिरते हुए सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों, बिगड़ते पर्यावरण एवं राजनीतिक परिदृश्य में पुन: अवलोकन की आवश्यकता है। सजग, प्रबुद्ध एवं कृतज्ञ नागरिक गौरवशाली इतिहास को देखें तथा नव राष्ट्र का निर्माण करें। राजबीर सिंह ने आर्य समाज के दंश नियमों का पाठ करवाया। इस अवसर पर वेदपाल आर्य, संजीव, प्रताप सिंह आर्य, किताब सिंह, रवि एवं अन्य आर्यगण उपस्थित रहे।