चंडीगढ़, 13 जुलाई (ट्रिन्यू)
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा हथिनी कुंड बैराज से यमुना में छोड़े जा रहे पानी को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र पर हरियाणा सरकार ने पलटवार किया है। हरियाणा ने दिल्ली सीएम के दावों को सिरे से खारिज करते हुए दो-टूक कहा है कि बैराज से छोड़े जाने वाले पानी पर कंट्रोल नहीं किया जा सकता। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के एडवाइजर (सिंचाई) देवेंद्र सिंह ने केजरीवाल के पत्र के जवाब में कहा कि यमुना नदी के जलस्तर बढ़ने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आधारहीन और तथ्यों से परे बात कर रहे हैं।
हथिनी कुंड बैराज से अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने से यमुना का जलस्तर बढ़ने के उनके आरोप पूरी तरह से भ्रामक हैं। ऐसा लगता है उनके अधिकारियों ने उन्हें सत्यता एवं तथ्यों से अवगत नहीं करवाया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने इस संबंध में जो पत्र गृह मंत्री को लिखा है, उसमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है। देवेंद्र सिंह ने कहा कि वास्तविकता यह है कि हथिनीकुंड पर बनी संरचना एक बैराज है, जो केवल पानी को डाइवर्ट/रेगुलेट करने के लिए है।
पानी को सीमित मात्रा में केवल किसी बांध से संचालित किया जा सकता है, बैराज से नहीं। यहां यह भी बताना अति आवश्यक है कि केंद्रीय जल आयोग के दिशा-निर्देशों अनुसार जो पानी हथिनीकुंड बैराज की सुरक्षा हेतु यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है, यह पानी हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में हुई अत्यधिक वर्षा का पानी है।
1999 में हुई थी बैराज की स्थापना
सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 13 जुलाई
हथिनी कुंड बैराज की स्थापना बंसीलाल सरकार में 1999 में हुई थी। यह रिकॉर्ड 3 वर्ष में बनकर तैयार हुआ था। देश के 5 राज्यों हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में पानी के बंटवारे को लेकर इस बैराज की स्थापना की गई थी। इनमें इन सभी 5 राज्यों का पानी का हिस्सा रहता है जो सामान्य परिस्थितियों में नियम मुताबिक दिया जाता है। यहां अधिक वर्षा होने के बाद पानी को नापने का सिस्टम है जिससे पता चल सके कि यहां से कब-कब कितना पानी क्रॉस हुआ है। बैराज में 18 गेट लगे हुए हैं। बैराज की क्षमता 9 लाख 95000 क्यूसेक पानी को झेलने की है। पानी कब कितना आता है यह सब हर 1 घंटे नापने के बाद नोट किया जाता है। और इसकी सूचना हरियाणा सिंचाई विभाग के साथ-साथ दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को भी भेजी जाती है। पिछले 50 वर्ष के रिकॉर्ड में ऐसा कभी नहीं हुआ जब इतने समय तक बैराज के गेट खुले रहे हो। सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर आरएस मित्तल के अनुसार बैराज पर ऑटोमेटिक सिस्टम है जिसमें डिस्चार्ज होने वाला पानी वेरीफाइड होता है।
डैम बनाने की है योजना
मुख्यमंत्री मनोहर लाल हथिनी कुंड बैराज से कुछ किलोमीटर ऊपर एक डैम बनाने के निर्देश अधिकारियों को दे चुके हैं। इसके लिए वह कई बार उस स्थल का दौरा करके अधिकारियों को जल्द काम शुरू करने के लिए कह चुके हैं। मुख्यमंत्री का मानना है कि बाढ़ के दौरान लाखों क्यूसेक पानी बर्बाद हो जाता है। डैम बनाने से वह पानी सुरक्षित रखा जाएगा तो पूरे 9 महीने हरियाणा में काम आ सकेगा। फिलहाल इस योजना पर इसलिए ब्रेक लगा हुआ है क्योंकि हिमाचल सरकार ने इसके लिए अभी अपनी एनओसी नहीं दी है।