दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 अप्रैल
हरियाणा के हर व्यक्ति पर स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च साल-दर-साल बढ़ा है। राज्य में सालाना औसतन 2108 रुपये प्रति व्यक्ति पर खर्च हो रहे हैं। हालांकि, हरियाणा जैसे विकासशील प्रदेश के हिसाब से यह बजट कम है। महीन के हिसाब से हर व्यक्ति पर 175 रुपये ही खर्च होते हैं। यह स्थिति तब है, जब सरकारी अस्पतालों के मुकाबले प्राइवेट सेक्टर में ओपीडी लगातार बढ़ी है।
राज्य में डॉक्टरों व पैरा-मेडिकल स्टाफ की वजह से अस्पतालों में मरीजों को दिक्कतें पेश आती हैं। ऐसे में सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देना होगा। खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल से स्वास्थ्य मंत्रालय अनिल विज के पास है। वे हर साल अपने विभाग के बजट में बढ़ोतरी करवाने में कामयाब रहे हैं। डॉक्टरों की कमी को विज स्वीकार भी करते हैं। हालांकि, नये मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद प्रदेश में एमबीबीएस की सीटों में इजाफा हुआ है।
पंजाब से अलग होने के बाद हरियाणा जब अलग राज्य बना तो प्रति व्यक्ति 1 रुपया 92 पैसे ही स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होते थे। 1976-77 में यह बढ़कर 11 रुपये 23 पैसे पहुंचा। भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में 2005-06 में कांग्रेस सत्ता में आई तो प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं पर 185 रुपये 90 पैसे सालाना खर्च होते थे। 2014-15 तक हुड्डा सरकार इसे बढ़ाकर 1042 रुपये 75 पैसे करने में कामयाब रही। पिछले लगभग 7 वर्षों में खट्टर सरकार ने प्रति व्यक्ति खर्च में दोगुने से अधिक बढ़ोतरी करके 2021-22 में इसे 2108 रुपये 53 पैसे तक पहुंचाया। 2017 में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में 25573245 आउटडोर ओपीडी रही। वहीं, 2153021 मरीजों ने अस्पतालों में दाखिल होकर इलाज करवाया। 2018 में आउटडोर ओपीडी 2.75 करोड़ इंडोर ओपीडी 23.24 लाख से अधिक रही।
2019 में ओपीडी पौने तीन करोड़ के करीब रही। 2020 में कोरोना का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा। ओपीडी को सरकार ने बंद कर दिया था। 2020 में 19913355 आउटडोर और 1867788 आउटडोर ओपीडी रही। 2020-21 में स्वास्थ्य विभाग का बजट 5894 करोड़ 34 लाख था, जो 2021-22 में बढ़कर 7613 करोड़ 73 लाख पहुंच गया। इस बार सीएम ने 8925 करोड़ 52 लाख रुपये स्वास्थ्य विभाग को आवंटित किए हैं।
विशेषज्ञों के 205, एमएस के 1025 पद खाली
मौजूदा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान दिया है, डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पाई है। अभी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के 208 और मेडिकल ऑफिसर (एमएस) के 1025 पद खाली हैं। सीनियर डेंटल सर्जन के 23 और डेंटल सर्जन के 98 पद खाली हैं। मेडिकल व पैरा-मेडिकल के 6532 पद खाली हैं।
तकनीकी स्टाफ का संकट
मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में तकनीकी स्टाफ का भी संकट है। रेडियोलॉजिस्टि के 225 पद खाली हैं। प्रदेश में महज 90 रेडियोग्राफर हैं। स्टाफ नर्स के 2260 पद रिक्त हैं। एमपीएचडब्ल्यू (महिला-पुरुष), लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट, ऑर्थो असिस्टेंट के काफी पद रिक्त हैं।
फैक्ट फाइल
- प्रदेश में कुल 69 अस्पताल हैं
- कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं 118
- प्राइमरी हेल्थ सेंटर 530 हैं
- 52 डिस्पेंसरी हैं
- 2659 सब-हेल्थ सेंटर्स हैं