ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 10 जुलाई
योजनाओं की महज घोषणाओं से वाहवाही लूटने का नजारा देखना हो तो चलिए हरियाणा के शिक्षा विभाग के ‘एजुसैट’ के हाल पर नजर दौड़ाते हैं। आधुनिक तकनीक से कार्टून आदि के जरिये बच्चों को पढ़ाने की इस योजना की शुरुआत जिस जोरशोर से की गयी थी, अब उतना ही उलट इसका हाल है मानो ‘ख्वाबों की स्क्रीन’ व्यवस्थागत खामियों से टूट गयी हो। करीब 9200 प्राइमरी स्कूलों व सैकड़ों सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के लाखों बच्चों का भविष्य अधर में लटका है। पूरे हरियाणा में प्रदेश में एजुसैट सिस्टम ठप पड़ा है। करोड़ों रुपयों के एजुसैट स्कूलों में धूल फांक रहे हैं। शिक्षा विभाग आंखें मूदकर बैठा है।
कैसी विडंबना है कि बहुत से अध्यापकों को ही नहीं पता कि एजुसैट शिक्षा असल में है क्या। अगर बात कैथल की करें तो यहां राजकीय प्राइमरी पाठशाला नंबर 4 की इंचार्ज ने कहा कि उन्हें यहां आए कई वर्ष हो गए, लेकिन उन्होंने तो एजुसैट देखा ही नहीं। इसी तरह राजकीय प्राइमरी स्कूल जाखौली अड्डे में बच्चों की कलास में एजुसैट के नाम पर एक टीवी की स्क्रीन रखी है। बच्चों को नहीं पता कि यह किसलिए है। कोई कनेक्शन नहीं, दूर रखी बैटरी ठप पड़ी है। जाखौली के राजकीय स्कूल से तो सिस्टम ही गायब है। कई जगहों से छतरी गायब है तो कहीं से बैटरी। राज्य के अन्य जिलों की भी हालत बदतर है। इक्का दुक्का स्कूलों को छोड़कर पूरे राज्य में एजुसैट सिस्टम ठप पड़े हैं। जिला जींद के चुहड़पुर के एक कमरे में रखा एजुसैट धूल फांक रहा है। रोहतक में भी यही हाल है। यमुनानगर के लगभग 550 स्कूलों में से 200 से अधिक के टीवी स्क्रीन खराब हो चुके हैं, कुछ की बैटरी चोरी हो चुकी है। 100 से कम ही वर्किंग में हैं। हालांकि वे भी तभी चलते हैं जब बिजली हो। करीब 603 एजुसैटों में से 393 पर चौकीदार हैं बाकी सब ‘राम भरोसे’। इसी प्रकार गुड़गांव में 100 से ज्यादा स्कूलों में एजुसैट काम नहीं कर रहे हैं। कबाड़ बन चुके एजुसैटों पर कुछ जगह चौकीदारों का पहरा है। कुछ जगहों पर एजुसैट काम तो कर रहे हैं, लेकिन वे किसी काम के नहीं हैं। क्योंकि एजुसैट पर आने वाली शिक्षा व बच्चों का पाठ्यक्रम टाइम टेबल से ही गायब है। शिक्षा विभाग अब एजुसैट पर बच्चों के लिए न तो कोई प्रोग्राम दे रहा है और न मनोरंजक सामग्री।
यह थी शिक्षा विभाग की योजना
प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को कार्टून और कहानियों के माध्यम से पढ़ाने के लिए और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में बच्चों को इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा देने के लिए यह प्रणाली शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य यह भी था कि ग्रामीण परिवेश के बच्चे भी आधुनिक तकनीक से जुड़ें और किताबों से इतर भी उनका रुझान हो। इसी उद्देश्य से आधुनिक शिक्षा के नाम पर करीब 9 हजार से अधिक प्राइमरी और सैकड़ों सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में यह योजना शुरू की गयी।
पैसे की बर्बादी है : अध्यापक संघ
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य प्रेस प्रवक्ता मा. सतबीर गोयत ने कहा कि शिक्षा विभाग तरह-तरह के उपकरण तो खरीद लेता है, लेकिन उसकी देखरेख नहीं करता। इसके चलते आज राज्य में 90 प्रतिशत से अधिक एजुसैट सिस्टम ठप पड़ा है। यह केवल पैसे की बर्बादी मात्र है। अगर विभाग इन एजुसैटों को ठीक करवा दें तो बच्चों को उनका फायदा मिल सकता है।
रिपोर्ट मंगवाएंगे : शिक्षा अधिकारी
जिला शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने कहा कि सभी स्कूलों से एजुसैट की ताजा रिपोर्ट मांगवाई जाएगी। जहां एजुसैट वर्किंग में हो सकते हैं उन्हें वर्किंग में करवाया जाएगा और जहां कोई अन्य परेशानी है उस बारे में विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि से एजुसैट ठीक करवाए जाएं।