चंडीगढ़, 6 अप्रैल (ट्रिन्यू)
24 अप्रैल का दिन हरियाणा के लिए ऐतिहासिक होने वाला है। इस दिन हिंद की चादर श्रीगुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में प्रदेश सरकार की ओर से पानीपत में प्रदेश स्तरीय आयोजन किया जाएगा। यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम होगा जिसमें सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन नेताओं के अलावा विपक्षी दलों के नेता भी शिरकत करेंगे। राजनीति से ऊपर उठकर हो रहे इस आयोजन के लिए गठित की गई कमेटी में सभी दलों के नेताओं को शामिल किया गया है।
पिछले दिनों सीएम मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में हुई कमेटी की बैठक में पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र हुड्डा सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की थी। 400वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में देशभर में हो रहे समारोहों की सीरीज में राज्य सरकार यह आयोजन कर रही है। बुधवार को सीएम ने चंडीगढ़ में पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट द्वारा तैयार किए गए भक्ति गीत का विमोचन किया। साथ ही, विभाग द्वारा डिजाइन किए गए हिंदी और पंजाबी पोस्टर की भी लांचिंग हुई। इस मौके पर मीडिया से बातचीत में सीएम ने कहा कि गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में होने वाले इस आयोजन में हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों के सिख श्रद्धालु पानीपत पहुंचेंगे। समारोह का उद्देश्य गुरु तेग बहादुर द्वारा प्रचारित सांप्रदायिक सदभाव और भाईचारे के संदेश का प्रचार करना है। इस मौके पर खेल राज्य मंत्री सरदार संदीप सिंह व करनाल से सांसद संजय भाटिया मौजूद रहे।
सीएम ने कहा कि कार्यक्रम के लिए सरदार संदीप सिंह की अध्यक्षता में इवेंट मैनेजमेंट कमेटी गठित की है। उन्होंने कहा कि हरियाणा न केवल गुरु तेग बहादुर के साथ, बल्कि सभी 10 सिख गुरुओं के साथ एक विशेष बंधन साझा करता है। चूंकि उनमें से अधिकांश ने अपने जीवनकाल के दौरान राज्य के लगभग हर कोने में यात्रा की है। राज्य के युवाओं को दुनिया के सबसे महान मानवतावादी गुरु तेग बहादुर के जीवन से समर्पण और बलिदान की भावना सीखने की जरूरत है।
सरकार ने 2017 में गुरु गोबिंद सिंह के 350वें प्रकाश पर्व पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए थे। 2019 में सिरसा में गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व का भी आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु तेग बहादुर के सर्वोच्च बलिदान के कारण ही पूरी मानवता ने उन्हें ‘हिंद की चादर’ की उपाधि से नवाजा है। इतिहास बताता है कि जब कश्मीरी पंडितों का एक प्रतिनिधिमंडल अपनी व्यथा बताने गुरु तेग बहादुर से मिलने गया तो गुरुजी ने कहा, ‘यदि कोई महापुरुष अपना बलिदान दे तभी आपका धर्म बच सकता है। यह सुनकर 9 वर्ष के बालक गोबिंद राय (गुरु गोबिंद सिंह) ने कहा, ‘पिताजी, आपसे बड़ा महापुरूष और कौन हो सकता है। आप अपना बलिदान क्यों नहीं देते।’ पुत्र की बात सुनकर गुरुजी ने पंडितों से कहा, जाओ औरंगजेब से कह दो, ‘यदि गुरु तेग बहादुर इस्लाम स्वीकार कर लें तो हम सब स्वतः ही इस्लाम स्वीकार कर लेंगे।’ औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को तब बंदी बना लिया गया था, लेकिन हिंदू धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने दिल्ली के चांदनी चौक पर शीश धर्म की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिया।