Haryana Travelling : इतिहास की गहराइयों से भविष्य की रोशनी तक... महाराजा अग्रसेन की नगरी को मिलेगा विश्व धरोहर का दर्जा
Haryana Travelling : हरियाणा की धरा पर बसा अग्रोहा सिर्फ एक कस्बा नहीं, बल्कि इतिहास का वह जीवंत पन्ना है, जो सैकड़ों सालों से अपने भीतर राजाओं की सभ्यता, व्यापारियों की समृद्धि और संस्कृति की धरोहर को समेटे हुए है। अब राज्य की नायब सरकार ने इसे नया आयाम देने की ठानी है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ऐलान किया है कि अग्रोहा को पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाया जाएगा।
यहां बनने वाला ‘स्टेट-ऑफ-द-आर्ट संग्रहालय’ खुदाई से मिले अवशेषों का घर होगा, जो आने वाली पीढ़ियों को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ेगा। इतिहासकार बताते हैं कि अग्रोहा कभी महाराजा अग्रसेन की राजधानी हुआ करता था। महाराजा ने यहां से एक ऐसे समाज की नींव रखी थी जो समानता, सहयोग और सेवा पर टिका था। यही कारण है कि आज भी देशभर के अग्रवाल समाज की भावनाएं इस नगरी से गहराई से जुड़ी हैं।
सरकार का मानना है कि जब अग्रोहा को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थान मिलेगा तो यह न सिर्फ आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि हरियाणा की पहचान भी दुनिया के सामने और गहरी होगी। अग्रोहा ट्रस्ट की सोमवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में संस्कृति व पर्यटन मंत्री डॉ़ अरविंद शर्मा, निकाय मंत्री विपुल गोयल, पूर्व मंत्री डॉ़ कमल गुप्ता व पूर्व स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भी मौजूद रहे।
मास्टर प्लान बनाने के निर्देश
बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हिसार-अग्रोहा मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा एक व्यापक मास्टर प्लान तैयार किया जाए, जिसमें पर्यटन और सांस्कृतिक विकास की पूरी रणनीति हो। साथ ही, उन्होंने कहा कि पुरातत्व स्थल के चारों ओर स्थित टीले (माउंड्स) को जियो-टैग कर संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए, ताकि उन्हें किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे।
खुदाई से खुल रहे रहस्य
अग्रोहा में फिलहाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और हरियाणा राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संयुक्त खुदाई कार्य चल रहा है। करीब पांच एकड़ भूमि पर हो रही इस खुदाई से अब तक कई ऐसे पुरावशेष सामने आए हैं जो साबित करते हैं कि यह स्थल एक समृद्ध और विकसित सभ्यता का केंद्र रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस खुदाई से न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत के ऐतिहासिक परिदृश्य को नई दिशा और पहचान मिलेगी।