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हरियाणा बनेगा इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का नया केंद्र

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक

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मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की फाइल फोटो।
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हरियाणा सरकार अब इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हरियाणा को भारत का अग्रणी ‘इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनाया जाए। इसके लिए राज्य सरकार जल्द ही इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) नीति के तहत नई प्रोत्साहन योजनाएं जारी करेगी।मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने शुक्रवार को इस संदर्भ में चंडीगढ़ में उच्च स्तरीय बैठक ली। बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग योजना (ईसीएमएस) के तहत निवेश आकर्षित करने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य में इलेक्ट्रॉनिक पुर्ज़ा निर्माण इकाइयों की स्थापना को गति देना और निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना था।मुख्य सचिव ने कहा कि इस पहल का प्रमुख उद्देश्य बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करना, रोजगार सृजन करना और हरियाणा को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य शृंखला (वेल्यू चेन) में प्रमुख भागीदार बनाना है। उन्होंने बताया कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन ने पिछले वर्षों में 17 प्रतिशत की वार्षिक औसत वृद्धि दर (सीएजीआर) से उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन डिजाइन और पुर्ज़ा निर्माण का पारिस्थितिकी तंत्र अभी शुरुआती दौर में है।वर्तमान में हरियाणा भारत के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में लगभग 2.9 प्रतिशत (0.8 अरब अमरीकी डॉलर) का योगदान देता है और इस क्षेत्र में लगभग 13 लाख रोजगार प्रदान करता है। रस्तोगी ने कहा कि राज्य में इस हिस्सेदारी को बढ़ाने की असीम संभावनाएं हैं, जिन्हें लक्षित नीतिगत समर्थन, निवेशकों के साथ सक्रिय संवाद और सक्षम बुनियादी ढांचे के माध्यम से साकार किया जाएगा। उन्होंने विशेष रूप से आईएमटी सोहना में प्रस्तावित इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर का उल्लेख किया, जिसे राज्य के इलेक्ट्रॉनिक्स विकास का केंद्र बताया गया।
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नई नीति में होंगे आकर्षक प्रोत्साहन

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राज्य की नई ईएसडीएम नीति के तहत पूंजीगत और परिचालन व्यय की वापसी (रिइम्बर्समेंट), हरित ऊर्जा परियोजनाओं, तकनीकी अधिग्रहण, क्षमता निर्माण तथा अनुसंधान एवं नवाचार केंद्रों के विकास के लिए सहायता दी जाएगी। उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के आयुक्त एवं सचिव डॉ. अमित कुमार अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार की ईसीएमएस योजना के अंतर्गत 1 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक के टर्नओवर आधारित और पूंजी निवेश आधारित प्रोत्साहन दिए जाते हैं। हरियाणा सरकार भी इन प्रोत्साहनों के साथ ‘अतिरिक्त टॉप-अप इंसेंटिव’ देने पर विचार कर रही है, ताकि राज्य की प्रतिस्पर्धात्मकता आंध्र प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे प्रगतिशील राज्यों के समकक्ष हो सके।

‘रिलेशनशिप मैनेजर’ व्यवस्था होगी लागू

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि उद्योग एवं वाणिज्य विभाग इस दिशा में विस्तृत कार्ययोजना तैयार करे और सक्रिय निवेशक संवाद अभियान शुरू करे। इसके तहत 11 कंपनियों के साथ एक-एक कर बैठकें 10 नवम्बर तक आयोजित की जाएंगी, जिन्होंने हरियाणा में ईसीएमएस अनुमोदित इकाइयां स्थापित करने में रुचि दिखाई है। इसके अलावा 50 अन्य कंपनियों से भी संपर्क किया जाएगा, जो अभी अपने परियोजना स्थानों को अंतिम रूप नहीं दे पाई हैं। निवेशकों को बेहतर सुविधा देने के लिए हरियाणा सरकार ‘रिलेशनशिप मैनेजर’ प्रणाली लागू करेगी। ये अधिकारी निवेशकों को भूमि चयन, अनुमोदन प्रक्रिया, विभागीय समन्वय और प्रोत्साहन प्राप्ति में सम्पूर्ण सहायता प्रदान करेंगे।

‘सहायक और प्रतिस्पर्धात्मक’ मॉडल पर काम

रस्तोगी ने स्पष्ट किया कि हरियाणा की नीति सहायक और प्रतिस्पर्धात्मक दोनों होगी। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर निवेशक को एक अनुकूल और विश्वस्तरीय पारिस्थितिकी तंत्र मिले, जहां वह अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक पुर्ज़ा निर्माण इकाइयां स्थापित कर सके। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव (सिटिजन रिसोर्सेज एंड इन्फॉर्मेशन विभाग) जी. अनुपमा, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के महानिदेशक यश गर्ग, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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