चंडीगढ़, 23 अप्रैल (ट्रिन्यू)
हरियाणा सरकार को अदानी ग्रुप की वजह से रोजाना 140 करोड़ 50 लाख रुपये की चपत लगेगी। एग्रीमेंट के मुताबिक अदानी की ओर से प्रदेश को बिजली सप्लाई नहीं की जा रही। ऐसे में सरकार को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की प्राइवेट कंपनियों से महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ी है। एमपी की एमबी पावर के साथ 5 रुपये 70 पैसे और छत्तीसगढ़ की आरकेएम पावर के साथ 5 रुपये 75 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से खरीद समझौता हुआ है।
अदानी पावर ने खुद ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में 24 नवंबर, 2007 को 2 रुपये 94 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से 1424 मेगावाट बिजली सप्लाई के लिए कंपटिटिव बिड दी थी। हुड्डा सरकार ने 31 जुलाई, 2008 को अदानी ग्रुप की बिड को मंजूर किया और 25 वर्षों के लिए समझौता किया गया। इसके लिए बाकायदा बिजली खरीद समझौता (पीपीए) पर साइन हुए। गुजरात के मुंद्रा से महेंद्रगढ़ तक अदानी पावर द्वारा बिजली की लाइन भी बिछाई गई।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह खुलासा करते हुए आरोप जड़े कि राज्य की खट्टर सरकार अदानी ग्रुप के साथ मिलकर प्रदेश पर आर्थिक बोझ डाल रही है। पिछले साल से ही अदानी ग्रुप हरियाणा को सप्लाई नहीं कर रहा लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
2010-11 में इंडोनेशिया में कोयले के रेट बारे कानून में बदलाव हुआ। इसके आधार पर अदानी पावर ने हरियाणा के साथ हुए पीपीए को सिरे से खारिज करने या फिर कोयले की बढ़ी हुइ कीमतें हरियाणा द्वारा देने की मांग रखी थी।