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हरियाणा राइट टू सर्विस आयोग का कड़ा एक्शन, MSME विभाग के अधिकारी पर देरी के लिए 5 हजार का दंड

स्टांप शुल्क वापसी और सुरक्षा ऑडिट, दोनों मामलों में आयोग का सख्त रुख

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हरियाणा राइट टू सर्विस आयोग ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) विभाग की ओर से सेवाओं में देरी को गंभीरता से लेते हुए दो अलग-अलग मामलों के अंतर्गत स्टांप शुल्क वापसी और सुरक्षा ऑडिट योजना में महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि सभी दस्तावेज समय पर जमा करने के बावजूद विभाग ने निर्धारित समयसीमा में सेवाएं प्रदान नहीं कीं। स्टांप शुल्क वापसी से जुड़ी अपील पर सुनवाई के बाद आयोग ने स्पष्ट कहा कि यह मामला पूरी तरह सेवा के अधिकार अधिनियम के दायरे में आता है। विभाग की दलीलों को खारिज करते हुए आयोग ने विभाग प्रमुख को निर्देश दिया है कि वे आयोग द्वारा 8 अगस्त, 2025 को प्रस्तुत किए गए अवलोकनों का विस्तृत उत्तर भेजें।

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दूसरे मामले को सुरक्षा ऑडिट योजना से जुड़ा है में जांच के दौरान यह पाया गया कि फाइल कई स्तरों पर अनावश्यक रूप से देर तक अटकी रही। सबसे अधिक देरी जिला सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम केंद्र, फरीदाबाद में तैनात उद्योग विस्तार अधिकारी के स्तर पर पाई गई। आयोग ने इस विलंब को अस्वीकार्य मानते हुए अधिनियम की धारा 17(1)(एच) के तहत अधिकारी पर ₹5 हजार रुपये का दंड लगाया है।

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आदेशानुसार, यह राशि दिसंबर 2025 के वेतन से काटकर जनवरी 2026 में राज्य कोष में जमा कराई जाएगी। अन्य अधिकारियों से प्राप्त जवाबों को स्वीकार करते हुए आयोग ने उनके विरुद्ध जारी नोटिस वापस ले लिए हैं, किंतु स्पष्ट चेतावनी भी जारी की है कि भविष्य में सेवाओं की अधिसूचित समय सीमा का पूरी तरह पालन सुनिश्चित किया जाए। आयोग ने यह भी दर्ज किया कि नोटिस जारी होने के बाद विभाग ने शिकायतकर्ता के दोनों मामलों में कार्यवाही पूरी कर दी है।

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