दिनेश भारद्वाज
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 20 अप्रैल
हरियाणा के शहरी स्थानीय निकायों – नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं को प्रॉपर्टी टैक्स से होने वाली आय दोगुना से अधिक बढ़ गई है। निकायों को प्रॉपर्टी टैक्स से 450 करोड़ रुपये की आदमन होती थी। अब यह टैक्स कलेक्शन बढ़कर 960 करोड़ पहुंच गई है। इतना ही नहीं, प्रदेश में प्रॉपर्टी की संख्या में भी 13 लाख से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। निकाय विभाग द्वारा करवाए गए सर्वे के बाद नया आंकड़ा सामने आया है।
दरअसल, सरकार ने जयपुर की याशी कंसलटेंसी नामक कंपनी को सर्वे की जिम्मेदारी दी। कंपनी द्वारा प्रदेशभर में डोर-टू-डोर जाकर प्रॉपर्टी की पैमाइश की और सर्वे रिपोर्ट तैयार की। सर्वे से पहले प्रदेश के शहरों में 29 लाख के करीब प्रॉपर्टी थी। अब इनकी संख्या 42 लाख 18 हजार पहुंच गई है। बड़ी संख्या में लोग प्रॉपर्टी का टैक्स ही नहीं देते थे। उदाहरण के तौर पर पहले 29 लाख प्रॉपर्टी में से भी 15-16 लाख के करीब ही लोग टैक्स जमा करवाते थे।
सर्वे रिपोर्ट के बाद निकायों की ओर से 29 लाख प्रॉपर्टी मालिकों को नोटिस भेजे गए। इनमें से 2 लाख 20 हजार लोगों ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। 2 लाख 10 हजार लोगों की आपत्ति दूर की जा चुकी हैं। अब महज 10 हजार ही लोगों की आपत्ति हैं, जिन पर काम चल रहा है। प्रदेश को कलस्टर में बांटकर सर्वे किया गया। इतना ही नहीं, यह पूरा सर्वे मोबाइल एप के द्वारा घर-घर जाकर किया गया। अब हर प्रॉपर्टी की फोटो भी निकाय के रिकार्ड में दर्ज है।
इसका सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि कमर्शियल प्रॉपर्टी को रिहायशी दिखाने वाले अब यह हेराफेरी नहीं कर सकेंगे। सरकार की इस मुहिम का विपक्ष के अलावा सत्तापक्ष के भी कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। सरकार के पास ग्राउंड से यह रिपोर्ट भी पहुंच चुकी है कि विरोध के पीछे असल वजह यही है कि अब हर किसी को प्रॉपर्टी टैक्स देना होगा। यह पूरी मुहिम तीन चरणों की है। पहले चरण में प्रॉपर्टी का सर्वे किया गया और फिर दूसरे चरण में सर्वे से इकट्ठा हुए डॉटा की जांच निकायों द्वारा की गई।
प्रॉपर्टी आईडी मांगी तो गंभीर हुए लोग
प्रदेश में सर्वे के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने सही जानकारी नहीं दी। सरकार ने जमीनों की रजिस्ट्री के लिए जब प्रॉपर्टी आईडी को अनिवार्य किया तो लोगों ने अपनी पूरी जानकारी देनी शुरू की। अब शहरों में किसी भी तरह की जमीन की रजिस्ट्री बिना प्रॉपर्टी आईडी के नहीं होगी। प्रॉपर्टी आईडी संबंधि नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिका द्वारा जारी की जाती है। प्रॉपर्टी आईडी से पहले सभी प्रकार के बकाया का भी भुगतान करना अनिवार्य है। अब सरकार ने प्रॉपर्टी आईडी को परिवार पहचान-पत्र के साथ लिंक करने का निर्णय लिया है। बिजली व पानी के बिल भी इससे जुड़ेंगे।
लगातार कम हो रही आपत्तियां
पहली अप्रैल से प्रॉपर्टी को लेकर लोगों के सुझाव व आपत्तियों पर काम हो रहा है। 18 अप्रैल को 53 निकायों में कोई भी आपत्ति नहीं आई। 27 निकायों में अभी आपत्तियां आ रही हैं लेकिन इनकी संख्या औसतन 30 के करीब है। लोगों की आपत्तियों का निपटारा होने के बाद निकायों द्वारा सभी लोगों से प्रॉपर्टी टैक्स की डिमांड की जाएगी। प्रॉपर्टी की कैटेगरी के हिसाब से टैक्स देना होगा। रिहायशी व कमर्शियल प्रॉपर्टी के रेट अलग हैं तो खाली प्लाट, इंडस्ट्री व शॉपिंग मॉल्स के लिए अलग दरें तय हैं।
रजिस्ट्री कम की और कब्जा अधिक पर
सर्वे के दौरान कई तरह के खुलासे भी हुए हैं। बहुत सी ऐसी प्रॉपर्टी हैं, जिनका साइज रजिस्ट्री में तो कम है लेकिन कब्जा उससे अधिक पर है। हाउसिंग बोर्ड के मकानों में यह स्थिति सामान्य तौर पर देखने को मिली। आमतौर पर हाउसिंग बोर्ड के मकान 48 वर्गगज के होते हैं। अधिकांश के पास 68 से 70 वर्गगज का कब्जा है। कई लोगों ने तो बिजली के खम्भों को भी अपने घर में शामिल किया हुआ है। नोटिस के बाद मकान मालिकों ने इस बात पर झगड़ा भी शुरू किया कि रजिस्ट्री में उनका प्लाट छोटा है जबकि नोटिस में साइज अधिक है। हालांकि बाद में सरकार ने तय किया रजिस्ट्री में जितनी साइज है, उसे ही प्लाट का असल साइज माना जाए।
प्रदेश में प्रॉपर्टी टैक्स अब हर किसी को देना होगा। पहले 29 लाख के करीब प्रॉपर्टी थी और इनमें से 15-16 लाख लोग ही टैक्स भरते थे। अब प्रॉपर्टी की संख्या 42 लाख 18 हजार से भी अधिक पहुंच गई है। लोगों की आपत्तियां ली जा रही है। 29 लाख लोगों को नोटिस दिए थे और इनमें से 2 लाख 20 हजार की आपत्तियां आई। 2 लाख 10 हजार आपत्तियों का निपटारा हो चुका है।
-डॉ़ कमल गुप्ता, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री