भिवानी, 25 अप्रैल (हप्र)
आजादी के संघर्ष के बाद भारत को सबसे कीमती धरोहर के रूप में संविधान मिला। संविधान ने सभी को समानता, शिक्षा, रोजगार सहित अन्य मौलिक अधिकार देकर प्रत्येक नागरिक के उत्थान में अहम भूमिका निभाई है लेकिन अब वर्तमान भाजपा सरकार संविधान को बदलकर आरक्षण खत्म करने की बात कर रही है, जो कि न्यायसंगत नहीं है।
सत्तारूढ़ दल के नेताओं द्वारा संविधान को बदलने व आरक्षण को खत्म करने के बयान के विरोध में हरियाणा प्रदेश चमार संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष मांगेराम तोंदवाल के नेतृत्व में अन्य पदाधिकारियों ने बृहस्पतिवार को भिवानी के उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम मांगपत्र सौंपा तथा देश के संविधान व आरक्षण को बचाने की मांग की।
समिति के प्रदेश अध्यक्ष मांगेराम तोंदवाल ने कहा कि देश के संविधान को बदलने का मतलब देश को एक बार फिर से गुलामी की ओर धकेलना है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर ने इस संविधान के लिए बहुत संघर्ष किया जिसके बाद देश को ऐसा संविधान मिला, जिसमें सभी लोगों के हित समाहित है।
समिति के प्रदेश प्रवक्ता राजेश चौधरी ने कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ा वर्ग लोगों के लोगों ने लंबे समय से पिछड़ेपन की मार झेली है। उन्हें पिछड़ेपन की दलदल से बाहर निकालने के लिए आरक्षण ही एकमात्र उम्मीद है। ऐसे में यदि सरकार आरक्षण को खत्म करती है तो इन वर्गों के लोगों से आगे बढ़ने की उम्मीद छिन जाएगी। उन्होंने राष्ट्रपति के नाम मांगपत्र सौंपते हुए मांग की कि संविधान व आरक्षण विरोधी बयान देने वालों पर कार्रवाई की जाए।
इस अवसर पर कैप्टन सूरजभान, डीके आर्य, पूर्व कस्टम अधिकारी राजेंद्र, पूर्व जिला कल्याण अधिकारी सुरेश कुमार, सीताराम रंगा, एनएसयूआई जिला अध्यक्ष मनजीत लांग्यान, मा. हरीश गोच्छी, अधिवक्ता सुरेश विधवान, राजपाल नंबरदार, अधिवक्ता राजेंद्र सुई, अधिवता राजकुमार कालुवास, अधिवक्ता भीम सिंह तोगड़िया, कृष्ण कुमार खरक, अधिवक्ता कृष्ण खिच्ची सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।