चंडीगढ़ (ट्रिन्यू) :
शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत हरियाणा सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में दाखिले के नियमों में बदलाव कर दिया है। सरकार ने नियम 134ए को खत्म कर दिया है। इस नियम के तहत पहले गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में किसी भी कक्षा में दाखिला मिल सकता था। अब बदले नियम के बाद प्राइवेट स्कूलों में केवल नर्सरी और पहली कक्षा में ही बच्चों को मुफ्त एडमिशन मिलेगा। हालांकि पहले गरीबों के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित होती थीं, अब आरटीई नियमों के मुताबिक 25 फीसदी सीटें रिजर्व की गयी हैं। बदले नियमों के बाद यह प्रावधान भी होगा कि यदि एक किलोमीटर तक कोई सरकारी स्कूल न हो या उन स्कूलों में सीटें फुल हो गई हों, तभी बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला मिलेगा। गौर हो कि नियम-134ए के तहत एडमिशन के लिए आवेदन करने वाले बच्चों का टेस्ट भी लिया जाता था। टेस्ट उत्तीर्ण करने वाले बच्चों को ही प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन मिलता था। मौजूदा शैक्षणिक सत्र में 21 हजार 577 बच्चों को नियम-134ए के तहत एडमिशन मिला।
उल्लेखनीय है कि पहले प्राइवेट स्कूल संचालक गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त पढ़ाने के लिए राजी नहीं थे। सरकार के दबाव में वे एडमिशन के लिए राजी भी होते थे तो उनकी डिमांड थी कि इसकी एवज में सरकार प्रतिपूर्ति करे। सरकार ने कक्षाओं के हिसाब से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में प्रतिपूर्ति राशि भी तय की हुई थी लेकिन विवाद खत्म नहीं हो रहा था।
‘राइट टू एजूकेशन’ में दूसरी कक्षा से लेकर 12वीं तक के लिए प्राइवेट स्कूलों में मुफ्त एडिशन का कोई प्रावधान नहीं है। इतना जरूर है कि जिन बच्चों का नर्सरी व पहली कक्षा में एडमिशन होगा, वे अपनी पढ़ाई आगे जारी रख सकेंगे। गौर हो कि नियम-134ए के तहत एडमिशन के लिए आवेदन करने वाले बच्चों का टेस्ट भी लिया जाता था। टेस्ट उत्तीर्ण करने वाले बच्चों को ही प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन मिलता था।
केंद्र निजी स्कूलों की करेगा मदद
नई नीति के तहत नर्सरी व पहली कक्षा में एडमिशन होने की सूरत में प्राइवेट स्कूलों को 25 हजार रुपये सालाना प्रतिपूर्ति राशि मिलेगी। साठ प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार देगी और बाकी राज्य सरकार वहन करेगी। यहां बता दें कि राज्य में 80 प्रतिशत से अधिक प्राइवेट स्कूल ऐसे हैं, जिनमें मासिक फीस 2000 रुपये से कम है।