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Haryana Politics: कांग्रेस का इस साल प्रदेश से ब्लाक लेवल पर संगठन खड़ा करने का टारगेट

Haryana Politics: विपक्ष के नेता के बिना ही चलेगा विधानसभा का बजट सत्र
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 12 मार्च

Haryana Politics:  हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता का फैसला फिलहाल के लिए लटक गया है। हरियाणा विधानसभा का चालू बजट सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष (विपक्ष का नेता) के ही चलने के आसार हैं। पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने भी इस तरह के संकेत दिए हैं कि एकदम से कुछ नहीं होगा। उनकी मानें तो पार्टी किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। बेशक, सीएलपी का फैसला भी अहम है लेकिन प्रदेश में संगठन गठन भी नेतृत्व की प्राथमिकताओं में है।

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दरअसल, कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने देशभर में 2025 के आखिर तक संगठन गठन का लक्ष्य रखा है। हरियाणा में पिछले लगभग 11 वर्षोें से पार्टी बिना संगठन के चल रही है। दो दिन के चंडीगढ़ प्रवास के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, जिला प्रभारियों व संयोजकों से संगठन गठन, संविधान बचाने को लेकर किए जाने वाले कार्यक्रमों तथा सीएलपी लीडर सहित कई मुद्दों पर चर्चा करके फीडबैक लिया। बुधवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में बातचीत में उन्होंने अपना रोडमैप रखा।

8 अक्तूबर, 2024 को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए थे। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है लेकिन अभी तक विधायक दल का नेता नहीं चुना गया है। विधानसभा में बिना ‘सेनापति’ के भाग लेने के सवाल पर हरिप्रसाद ने कहा कि कांग्रेस के सभी विधायक मजबूती के साथ जनता के मुद्दे विधानसभा में उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 700 से अधिक किसानों की जान गई। भ्रष्टाचार चरम पर है। बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को जवाब देना चाहिए।

बीके हरिप्रसाद ने कहा कि चुनाव आयोग भाजपा के लिए काम कर रहा है और ईवीएम मशीनों में सैटिंग करके चुनाव जीते जा रहे हैं। उन्होंने हरियाणा के नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं में भाजपा की जीत पर कहा कि सभी चुनाव सैटिंग करके जीते जा रहे हैं। कांग्रेस देशभर में जागरूकता अभियान चलाएगी। हरियाणा के सभी जिलों व हलका स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा ताकि लोगों के सामने भाजपा की सच्चाई रखी जा सके।

हां बढ़ गया है चैलेंज

बीके हरिप्रसाद इससे पहले भी हरियाणा मामलों के प्रभारी रहे हैं। पुराने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि इस बार हरियाणा में उनके सामने चैलेंज बढ़ गया है। सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म करके नेताओं को एक साथ लाना है। एक सवाल के जवाब पर उन्होंने दावा करते हुए कहा कि वे इस मुहिम में जरूर कामयाब होंगे। उन्होंने कहा – बेशक, गुटबाजी काफी बढ़ी हुई है लेकिन नेताओं में मतभेद ही हैं मनभेद नहीं हैं। ऐसे में इसे कंट्रोल कर लिया जाएगा।

सीएलपी पर देंगे राय

कांग्रेस विधायक दल के नेता के चयन को लेकर हरिप्रसाद ने कहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षक – अशोक गहलोत, अजय माकन, टीएस सिंहदेव व प्रताप सिंह बाजवा हरियाणा के विधायकों से बातचीत करके पार्टी अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को अपनी रिपोर्ट दे चुके हैं। पिछले दिनों उन्होंने भी नई दिल्ली में हरियाणा की स्टीयरिंग कमेटी के नेताओं से चर्चा की है। वे भी अपनी राय पार्टी नेतृत्व को देंगे। इसके बाद हाईकमान द्वारा ही फैसला लिया जाएगा।

होली के बाद फिर बैठक

चंडीगढ़ में दो दिवसीय प्रवास के दौरान वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, जिला प्रभारियों व संयोजकों के साथ बैठक के बाद अब वे प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ सामूहिक और वन-टू-वन मीटिंग भी करेंगे। उन्होंने कहा कि होली के बाद प्रदेश के नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक होगी। इस बैठक में संगठन सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी और विचार-विमर्श के बाद ही अगली रणनीति तय होगी।

पार्टी में अनुशासन की कमी

हरियाणा इंचार्ज ने स्वीकार किया कि प्रदेश में अनुशासन की कमी है। जिला प्रभारियों व संयोजकों ने भी इस बारे में रिपोर्ट दी है। उन्होंने इस तरह के भी संकेत दिए कि आने वाले दिनों में अनुशासनहीनता करने वाले नेताओं के साथ नेतृत्व सख्ती से निपट सकता है। बताते हैं कि प्रभारी के साथ हुई बैठकों के दौरान भी नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाए। प्रदेश में कांग्रेस नेताओं के अलग-अलग खेमे हैं। बातचीत में नेताओं ने अपने-अपने गुट के नेताओं का पक्ष रखा।

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