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Haryana Politics : अफसरों की मनमानी पर कैबिनेट मंत्री अनिल विज हुए खफा, कहा - "अगर डल्लेवाल की तरह आमरण अनशन करना पड़ा तो करूंगा"

हर सोमवार को अंबाला कैंट में लगने वाला जनता दरबार बंद, अनिल विज ने कहा - ना लगाएंगे जनता दरबार, ना लेंगे ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग
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दिनेश भारद्वाज/चंडीगढ़, 30 जनवरी (ट्रिब्यून न्यूज सर्विस)

Haryana Politics : हरियाणा के परिवहन, बिजली व श्रम मंत्री अनिल विज फिर उखड़ गए हैं। प्रदेश में ब्यूरोेक्रेसी की मनमानी से आहत विज ने बड़ा कदम उठाते हुए हर सोमवार को अंबाला कैंट में लगाए जाने वाले ‘जनता दरबार’ को बंद करने का ऐलान कर दिया है। इससे पहले वे प्रदेश स्तर का हर शनिवार को अंबाला कैंट में लगाया जाने वाला ‘जनता दरबार’ बंद कर चुके हैं। यही नहीं, विज ने ग्रीवेंस कमेटी की बैठकों में जाने से भी इंकार कर दिया है।

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विज को यह गुस्सा एकदम से नहीं आया है। इसके ग्राउंड में कई घटनाएं हैं। दरअसल, ग्रीवेंस कमेटी की बैठक और जनता दरबार में लापरवाही करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश उन्होंने दिए। संबंधित विभागों के अधिकारियों की ओर से विज के लिखित आदेशों के बाद भी एक्शन नहीं लिया गया। इसके बाद ही विज ने जनता दरबार बंद करने और ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला लिया है।

विज का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें वे अधिकारियों के प्रति अपनी नाराजगी प्रकट कर रहे हैं। दरअसल, मनोहर सरकार में गृह मंत्री रहे अनिल विज हर शनिवार को अंबाला कैंट के रेस्ट हाउस में जनता दरबार लगाया करते थे। इसमें प्रदेशभर से हजारों की संख्या में लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचा करते थे। 12 मार्च, 2024 को मनोहर लाल खट्टर की जगह जब नायब सिंह सैनी प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए तो नायब सरकार ने जिलों में ‘समाधान शिविर’ लगाने शुरू कर दिए।

‘समाधान शिविर’ शुरू होने के बाद ही विज ने प्रदेश स्तर का जनता दरबार यह कहते हुए लगाना बंद कर दिया था कि अब इसकी इसलिए जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार सभी जिलों में शििवर शुरू कर चुकी है। हालांकि अंबाला कैंट के लोगों के लिए वे हर सोमवार को ‘जनता दरबार’ लगाया करते थे। अब नायब सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के नाते भी वे हर सोमवार को अपने हलके के लोगों की समस्याएं सुना करते थे। बृहस्पतिवार सुबह विज ने अंबाला कैंट का जनता दरबार भी बंद करने का ऐलान कर दिया।

साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि अब वे ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में भी शायद भाग नहीं लेंगे। दरअसल, विज सिरसा और कैथल जिला ग्रीवेंस कमेटी के चेयरमैन हैं। ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में जिले के लोगों द्वारा अपनी समस्याएं रखी जाती हैं। आमतौर पर मंत्रियों द्वारा शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश भी दिए जाते हैं। विज ने पिछले दिनों सिरसा में एक बिल्डिंग इंस्पेक्टर को सस्पेंड करने के आदेश दिए थे।

बैठक के बाद विज के कार्यालय की ओर से बिल्डिंग इंस्पेक्टर पर कार्रवाई करने के लिए लिखित में शहरी स्थानीय निकाय विभाग को लिखा भी गया, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह से अंबाला कैंट में जनता दरबार के दौरान विज ने सदर एसएचओ को सस्पेंड करने के आदेश दिए थे। इसके लिए भी विभाग को लिखा गया लेकिन एसएचओ पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस तरह के और भी कई मामले थे, जिनमें संबंधित विभाग के अधिकारियों ने किसी भी तरह का एक्शन नहीं लिया।

जानिए क्या कहा विज ने

विज का सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में वे अधिकारियों के प्रति अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए सुनाई-दिखाई दे रहे हैं। विज ने कहा - मैंने अंबाला कैंट में भी हर सोमवार को लगाया जाने वाला जनता दरबार बंद कर दिया है। अब मैं शायद ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में भी नहीं जाया करूंगा। ऐसा इसलिए किया है क्यांेकि हमारे आदेशों की पालना नहीं होती। अधिकारी हमारे काम नहीं करते। बाकी हरियाणा से मुझे कुछ नहीं लेकिन अंबाला कैंट की जनता से मुझे सात बार विधायक बनाया है। यहां के लोगों के कार्यों के लिए मुझे आंदोलन भी करना पड़ा तो करूंगा। डल्लेवाल (किसान नेता) की तरह अगर आमरण अनशन भी करना पड़ा तो करूंगा।

मैं निकला गड्डी लेके

इससे पहले बुधवार को विज हरियाणा सिविल सचिवालय की आठवीं मंजिल पर स्थित अपने कमरे में भी अलग ही अंदाज में नज़र आए थे। उनका निजी स्टॉफ फाइलें निकलवा रहा था। गाने गुनगुनाते हुए विज ने फाइलों पर हस्ताक्षर किए। पहले उन्होंने सन्नी देओल के फिल्म ‘गदर’ का गाना - मैं निकला गड्डी लेके, ओ रास्ते पर ओ सड़क में एक मोढ़ आया। मैं उत्थे दिल छोड़ आया गुनगुनाया। इसके बाद एक और गाना गुनगुनाते हुए उन्होंने फाइलों पर हस्ताक्षर किए। बुधवार की ‘म्यूजिक मूवमेंट’ के बाद बृहस्पतिवार को सुबह ही विज ने बड़ा ‘विस्फोट’ कर दिया है।

पूर्व में भी रहे विवाद

विज की नाराजगी पहली बार सामने नहीं आई है। इससे पहले मनोहर सरकार में भी वे कई बार अपने गुस्से का इजहार कर चुके हैं। मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल में जब उन्हें गृह मंत्री बनाया तो सीएम के साथ उनका सीआईडी को लेकर विवाद हुआ। विज इस बात से खफा थे कि गृह मंत्री होने के बाद भी सीआईडी उन्हें रिपोर्ट नहीं करती है। बाद में मुख्यमंत्री ने अधिकारिक नोटिफिकेशन जारी करके सीआईडी को अलग से विभाग का दर्जा दिया और सीआईडी को गृह विभाग से अलग कर दिया। डीजीपी शत्रुजीत कपूर की कार्यशैली से भी विज खफा थे।

सीएमओ के साथ पुरानी टसल

ब्यूरोक्रेसी के अन्य अधिकारियों के अलावा मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अधिकारियों के साथ भी विज का कई बार टकराव सामने आ चुका है। सूत्रों का कहना है कि इन दिनों भी सीएमओ के एक अधिकारी की वर्किंग स्टाइल से विज खुश नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की मीटिंग में भी विज किसी मुद्दे पर नाराजगी जता चुके हैं। राज्य की मौजूदा नायब सरकार में यह पहला मौका है जब विज ने अपने तेवर दिखाए हैं।

विधायक भी कर रहे शिकायत

नायब सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल विज अधिकारियों की कार्यशैली से प्रभावित होने वाले अकेले नहीं हैं। और भी कई ऐसे मंत्री और विधायक हैं, जे अधिकारियों से नाखुश हैं। पिछले दिनों बाढ़डा से भाजपा विधायक उमेद पातूवास भी एसडीएम की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह पिछले दिनों फरीदाबाद में ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में गए तो बैठक में पुलिस आयुक्त नहीं पहुंचने पर कैबिनेट मंत्री ने कड़ी नाराजगी जताई। गुहला से कांग्रेस विधायक देवेंद्र हंस लिखित में स्पीकर हरविन्द्र कल्याण को कैथल एसपी के खिलाफ शिकायत कर चुके हैं।

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