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हरियाणा पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 72 लोगों की सुरक्षा वापस

अब ‘धमकी वाले कॉल’ पर नहीं मिलेगी पर्सनल सिक्योरिटी

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डीजीपी ओपी सिंह।
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हरियाणा पुलिस ने सुरक्षा आवंटन की नई समीक्षा में प्रदेश के 72 लोगों से सुरक्षा वापस ले ली है, जिनमें राजनीतिक हस्तियां, सामाजिक कार्यकर्ता और निजी क्षेत्र के कई लोग शामिल हैं। जिला स्तर पर हुई इस व्यापक समीक्षा के बाद 200 से ज्यादा पीएसओ (पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर) वापस बुला लिए गए हैं। पुलिस ने साफ कहा है कि अब सुरक्षा केवल वास्तविक खतरा वाले लोगों को ही दी जाएगी।

डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि राज्य में धमकी भरे फोन कॉल और कथित फिरौती कॉल के मामलों को लेकर नई पॉलिसी तैयार की जा रही है, जिसमें किसी को भी सिर्फ कॉल आने के आधार पर पर्सनल सिक्योरिटी नहीं दी जाएगी। डीजीपी ने साफ कहा कि ज़्यादातर कॉल इसलिए आते हैं क्योंकि लोग खुद बंदूकधारियों के साथ घूमते हैं।

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खतरा हो तो चुप रहें, लेकिन लोग रील्स बनाते हैं, दिखावा करते हैं। ऐसे अधिकांश केस फर्जी होते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की तरह हरियाणा भी अब ‘नो सिक्योरिटी ऑन कॉल’ मॉडल अपनाएगा। ऐसे मामलों में अब संबंधित एसपी और थाना प्रभारी की सीधी जिम्मेदारी तय होगी। यानी खतरे की स्थिति में सुरक्षा नहीं, बल्कि कार्रवाई की जाएगी।

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डीजीपी ने बताया कि पहले ऑपरेशन 'ट्रैकडाउन' के दौरान यह पता चला कि कई धमकी कॉल विदेशी नंबरों - जैसे पुर्तगाल, अमेरिका के नाम पर बताए जाते थे, जिनका कोई वास्तविक लिंक नहीं होता था। इसके बाद पुलिस ने फैसला किया कि समस्या की जड़ स्थानीय अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई है। हर थाना प्रभारी को निर्देश दिया गया कि वह हथियार रखने वाले और गैंग से जुड़े कम से कम पांच अपराधियों को जेल भेजे।

डीजीपी के अनुसार, हमने दो हफ्तों में 1,750 लोगों को गिरफ्तार करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन तीन हफ्तों में 3,500 अपराधियों को जेल भेजा। यह कार्रवाई उन अपराधियों पर भी जारी है जो जेल से बाहर आकर दोबारा सक्रिय हो जाते हैं। पुलिस का दावा है कि इससे राज्य में अपराध नियंत्रण मजबूत हुआ है। बुधवार को जननायक जनता पार्टी के युवा प्रदेशाध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला सहित पांच जजपा नेताओं का सुरक्षा कवच हटाया जा चुका था। इसके बाद गुरुवार को जारी सूची में और भी दर्जनों नेताओं व निजी व्यक्तियों की सुरक्षा हटाई गई है।

अब सिर्फ ‘वास्तविक खतरे’ की सुरक्षा नीति

पुलिस ने साफ किया है कि सुरक्षा को स्टेटस सिंबल बनाने का दौर खत्म होगा। नई समीक्षा प्रणाली के अनुसार, सुरक्षा की हर छह महीने में पुनर्समीक्षा होगी ‘दबाव’ या ‘रिकमेंडेशन’ आधारित सुरक्षा नहीं दी जाएगी। वास्तविक खतरे की पुष्टि पर ही सुरक्षा मिलेगी। हरियाणा पुलिस का यह कदम सुरक्षा व्यवस्था में तेजी से बदलाव का संकेत है कि अब सुरक्षा विशेषाधिकार नहीं, बल्कि जरूरत के आधार पर मिलेगी।

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