Haryana Police Record : हरियाणा पुलिस की ऐतिहासिक छलांग : फिंगरप्रिंट विज्ञान और नेफिस से अपराध नियंत्रण में नई परिभाषा
अपराधियों की वैज्ञानिक पहचान सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा पुलिस ने राज्यभर में 31 Measurement Collection Units स्थापित किए
Haryana Police Record : हरियाणा पुलिस ने अपराध अन्वेक्षण के क्षेत्र में तकनीकी दक्षता और वैज्ञानिक पुलिसिंग के माध्यम से एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने वर्ष 2024 में 57,000 से अधिक फिंगरप्रिंट डेटा नेफिस सॉफ्टवेयर पर अपलोड किए, जिनकी मदद से अब तक 111 आपराधिक मामलों का सफल समाधान किया गया है। इनमें 35 हत्या के जघन्य मामले शामिल हैं।
यही नहीं, नेफिस प्रणाली की मदद से वर्ष 2024 में 16 और 2025 में अब तक 15 अज्ञात शवों की पहचान की गई है, जिससे कई पुराने और लंबित मामलों की गुत्थियाँ सुलझी हैं। पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए इसे “वैज्ञानिक पुलिसिंग की दिशा में हरियाणा की अग्रणी छलांग” बताया।
अपराधियों की वैज्ञानिक पहचान सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा पुलिस ने राज्यभर में 31 Measurement Collection Units स्थापित किए हैं। इन यूनिट्स का उद्देश्य अपराधियों के बायोमेट्रिक, फोटोग्राफिक और शारीरिक माप संबंधी डेटा को डिजिटल रूप में संग्रहित कर राष्ट्रीय अपराध डेटाबेस से जोड़ना है।
इन इकाइयों के माध्यम से अब तक 10,000 से अधिक अपराधियों का डेटा अपलोड किया गया है, जिससे हरियाणा देश में प्रथम स्थान पर है। इस पहल से अपराधियों की पहचान तेज हुई है, पुराने मामलों की गुत्थियाँ सुलझी हैं और विभिन्न राज्यों की पुलिस के बीच डेटा साझा करना आसान हुआ है।
नेफिस प्रणाली : अपराध अनुसंधान में तकनीकी क्रांति
नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) अपराध अनुसंधान में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया है। इस प्रणाली के माध्यम से अपराधियों के फिंगरप्रिंट्स और हथेली छापें राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत प्रारूप में अपलोड की जाती हैं। हरियाणा पुलिस ने नेफिस का उपयोग न केवल गिरफ्तार अपराधियों की पहचान के लिए किया बल्कि अज्ञात शवों और अपराध स्थल से प्राप्त चांस प्रिंट्स के मिलान में भी किया। इससे जांच प्रक्रिया तेज हुई और अंतरराज्यीय अपराध नेटवर्क को उजागर करने में सफलता मिली।
आंकड़ों में सफलता की कहानी
हरियाणा पुलिस की उपलब्धियों को आंकड़े और भी प्रभावशाली बनाते हैं।
• वर्ष 2024 में 57,235 फिंगरप्रिंट्स नेफिस पर अपलोड किए गए।
• वर्ष 2025 (31 अगस्त तक) 55,612 नए अपराधियों का डेटा जोड़ा गया।
• वर्ष 2024 में 2,392 चांस प्रिंट्स में से 916 का सफल मिलान हुआ।
• 2025 में अब तक 2,865 चांस प्रिंट्स में से 115 के मेल की पुष्टि हुई।
• राज्यभर में 176 प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिनसे पुलिसकर्मियों की तकनीकी दक्षता बढ़ी।
तीन जटिल मामले जो बने मिसाल
हरियाणा पुलिस की फिंगरप्रिंट शाखा ने तकनीक के दम पर तीन जटिल मामलों को सुलझाया—
1. सोहना हत्याकांड (गुरुग्राम) : पहाड़ियों से मिले अज्ञात शव की पहचान फिंगरप्रिंट विश्लेषण से समीर राजभर के रूप में हुई, जिससे हत्या का रहस्य खुला।
2. अंबाला चोरी मामला : घटनास्थल से मिले चांस प्रिंट राजस्थान में पकड़े गए सोनू कांजर से मिले — दो राज्यों की पुलिस ने नेटवर्क का पर्दाफाश किया।
3. गुरुग्राम डकैती प्रकरण : नेफिस डेटाबेस से मिले फिंगरप्रिंट्स ने दक्षिण भारत के कई मामलों से जुड़ाव दिखाया, जिससे बड़ा अंतरराज्यीय गिरोह पकड़ा गया।