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Haryana Police Mission: 20 साल बाद बेटे की आवाज सुन मां बोली "तू ज़िंदा है"

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 1 मई Haryana Police Mission: हरियाणा पुलिस ने एक बार फिर मानवता, सेवा और संवेदना की मिसाल पेश की है। प्रदेश की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) की अथक कोशिशों से बीते डेढ़ सालों में 1974...
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फोटो स्रोत हरियाणा पुलिस
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 1 मई

Haryana Police Mission: हरियाणा पुलिस ने एक बार फिर मानवता, सेवा और संवेदना की मिसाल पेश की है। प्रदेश की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) की अथक कोशिशों से बीते डेढ़ सालों में 1974 गुमशुदा लोगों को उनके परिजनों से मिलवाया गया, जिनमें कई ऐसे थे जो दो दशक से बिछड़े हुए थे।

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हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने एक ऐसा ही किस्सा सांझा किया, जहां परिवार दो दशकों से अपने बेटे को ढूंढ़ रहा था, लेकिन उम्मीदें लगभग मर चुकी थीं। जब वह बेटा, जो अब खुद कॉलेज का छात्र था, अपने परिवार से मिला, तो मां के मुंह से निकला पहला शब्द था कि ‘तू ज़िंदा है‘।

अगस्त 2023 के बाद 44 ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां परिवारजन 20 वर्षों से किसी अपने को ढूंढ रहे थे, लेकिन इतने लंबे समय के बाद कोई भी पहचान बदल जाती है। चेहरा, भाषा, यहां तक कि बोलने और सोचने का तरीका भी। फिर भी एएचटीयू ने हर सुराग को जोड़ा, हर दस्तावेज खंगाले और वह बिछड़ों का मिलना संभव हो पाया, जिससे रिश्तों की डोर फिर से बंध सकी।

बदलते चेहरों के बीच एक उम्मीद की पहचान

कई मामलों में लापता व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ, मूक-बधिर या दिव्यांग था। फिर भी AHTU की टीम ने तस्वीरों, पुराने रिकॉर्ड और सूचनाओं के सहारे उन्हें पहचाना और उनके परिवारों से मिलवाया।

संवेदनशील पुलिसिंग की नई मिसाल

सिर्फ 2024 के पहले तीन महीनों में ही पुलिस ने 2781 वयस्कों और 606 नाबालिग बच्चों को उनके परिजनों से मिलवाया। इसके अलावा, 183 भीख मांगने वाले बच्चों और 176 बाल मज़दूरों को रेस्क्यू किया गया। जनवरी से मार्च 2025 के बीच AHTU ने 164 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया और 555 भीख मांगने में लगे बच्चों को बचाया, जबकि 874 बाल श्रमिकों को मुक्त कर पुनर्स्थापित किया

मार्च में चलाए गए ऑपरेशन मुस्कान में 91 बच्चों और 117 वयस्कों को परिजनों से मिलवाया गया। 360 भीख मांगने वाले और 640 बाल मज़दूरों को बचाया गया। बच्चों से जुड़े 18 और वयस्कों से जुड़े 43 मामलों का समाधान किया गया।

गुरुग्राम और अंबाला बने मिसाल

गुरुग्राम ने इस मुहिम में सबसे आगे रहते हुए 129 बच्चे और 125 वयस्कों को उनके परिजनों से मिलवाया। वहीं अंबाला में वर्षों से बिछड़े कई परिजन फिर एक हुए। मार्च में ज़िला पुलिस द्वारा 511 बच्चों और 1079 वयस्कों को उनके परिवार से मिलवाया गया। 203 भीख मांगते बच्चे और 250 बाल मज़दूर रेस्क्यू किए गए।

हमने केस नहीं, घर बसाएः डीजीपी कपूर

पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने पुलिस कर्मियों को प्रमाण पत्र और पुरस्कार सौंपते हुए कहा "हर केस सुलझने पर सिर्फ फाइल बंद नहीं होती, बल्कि एक मां की रातों की नींद लौटती है, एक पिता का दिल सुकून पाता है और एक बच्चा अपना बचपन फिर से जीता है।"

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