दिनेश भारद्वाज
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 30 मई
हरियाणा सरकार ने स्थानीय निकायों (नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका) की जमीन के किरायेदारों व लीजधारकों को बड़ी राहत दी है। निकायों की जमीनों पर दुकान व मकान बनाकर बरसों से बैठे लोगों को मालिकाना हक मिलेगा। यह फैसला पिछले दिनों हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में हो चुका है, लेकिन अब सरकार ने इसमें और भी बड़ी रियायत कब्जाधारियों को दी है। मकानों व दुकानों के किरायेदारों को कलेक्टर रेट में 20 से 50 प्रतिशत तक की छूट सरकार देगी। नोटिफिकेशन जारी कर दी गयी है।
किरायेदारों व लीजधारियों को मालिकाना हक देने की योजना ‘खट्टर पार्ट-1’ से चली आ रही है लेकिन तकनीकी व कानूनी पेचिदगियों के चलते यह सिरे नहीं चढ़ सकी थी। पिछली कैबिनेट मीटिंग में इसका रास्ता निकालते हुए सरकार ने मालिकाना हक की राह आसान कर दी थी। इस बीच, रविवार को चंडीगढ़ में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कब्जाधारियों को कलेक्टर रेट में छूट देने का ऐलान किया।
यह पहले ही तय किया जा चुका है कि मालिकाना हक उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो 20 वर्ष या इससे अधिक अवधि से किरायेदार हैं या फिर उन्होंने लीज पर जमीन ली हुई है। कैबिनेट ने कलेक्टर रेट पर जमीनों का मालिकाना हक देने का निर्णय लिया था। गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला, पानीपत, रोहतक सहित कई शहरों में कलेक्टर रेट अधिक होने की वजह से दुकानदारों को दिक्कत आ रही थी। सबसे अधिक परेशानी में वे लोग थे, जिन्होंने निकायों की प्रॉपर्टी पर मकान बनाए हुए हैं।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश प्रभारी व सीएम के पूर्व मीडिया एडवाइजर राजीव जैन ने इस बाबत सीएम को पत्र लिखकर कलेक्टर रेट में रियायत देने की मांग भी की थी। विभिन्न व्यापारिक संगठनों की ओर से भी इस बाबत सीएम से आग्रह किया गया था। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए सीएम ने विभाग के अधिकारियों के साथ लगातार मैराथन बैठकें की और इसका हल निकाला। इसी के चलते कलेक्टर रेट में 20 से लेकर 50 प्रतिशत तक की छूट देने की नीति बनाई।
31 दिसंबर, 2020 तक जिन लोगों को किरायेदार के रूप में 20 साल पूरे हो चुके हैं, वे सभी इस योजना का लाभ ले सकेंगे। बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो निकायों की प्रॉपर्टी पर और भी अधिक अवधि से बैठे हैं। कलेक्टर रेट में छूट अधिकतम 50 प्रतिशत ही मिलेगी। यानी अगर किसी के पास 60 साल से भी कब्जा है तो उसे छूट 50 प्रतिशत की ही मिलेगी। स्कीम के तहत कम से कम 20 और अधिकतम 50 प्रतिशत कलेक्टर रेट में छूट मिलेगी। 20 साल के बाद हर एक साल के लिए 1 प्रतिशत की छूट का फार्मूला लागू होगा।
योजना पहली जून से लागू
सीएम ने कहा कि नई स्कीम का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है और यह योजना पहली जून से लागू हो जाएगी। मालिकाना हक के लिए अब दुकानदारों को अपने जरूरी दस्तावेजों के साथ संबंधित निकाय में आवेदन करना होगा। कब्जे की तारीख के हिसाब से कलेक्टर रेट का कुल 25 प्रतिशत पैसा पहले जमा करवाना होगा। अगले 45 दिनों में बाकी 75 प्रतिशत पैसा जमा करवाने के बाद निकाय द्वारा एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) जारी होगी। एनओसी मिलने के बाद तहसील में जमीन की रजिस्ट्री हो सकेगी। प्रदेश के व्यापारिक संगठनों ने मुख्यमंत्री की इस घोषणा का स्वागत किया है। पालिका बाजार रोहतक के प्रधान गुलशन निझावन का कहना है कि कलेक्टर रेट में मिली 20 से 50 प्रतिशत तक की छूट छोटे दुकानदारों के लिए बड़ी राहत भरी होगी। वहीं सीएम के पूर्व मीडिया एडवाइजर राजीव जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने व्यापारियों की समस्याओं को समझा है।
मंजिलों में भी लागू होगी छूट
कई ऐसे मामले हैं, जिसमें दुकान या मकान में अलग-अलग लोग किराये पर रह रहे हैं। इस तरह के मामलों में अगर भवन दोमंजिला है तो ग्राउंड फ्लोर के कब्जाधारी को छूट के बाद तय हुए कलेक्टर रेट का 60 प्रतिशत देना होगा। वहीं पहली मंजिल वाले से 40 प्रतिशत राशि ली जाएगी। अगर दूसरी मंजिल पर भी अलग किरायेदार है तो फिर कलेक्टर रेट के तीन हिस्से होंगे। ग्राउंड फ्लोर वाले को 50 पहली मंजिल वाले को 30 और दूसरी मंजिल वाले को 20 प्रतिशत पैसा देकर मालिकाना हक मिलेगा। छत का अधिकार दूसरी मंजिल वाले के पास रहेगा, लेकिन वह इस पर निर्माण नहीं कर सकेगा। जिन मामलों में एक ही किरायेदार है, उसे 100 प्रतिशत कलेक्टर रेट देना होगा। 20 से 50 प्रतिशत तक की कलेक्टर छूट का लाभ उसे भी मिलेगा।
निकाय बेच सकेंगे अपनी प्रॉपर्टी
सीएम ने एक और योजना का ऐलान करते हुए कहा कि शहरों में निकायों के पास बेकार पड़ी भूमि अब बेची जा सकेगी। अभी तक जमीन को दूसरी जमीन से बदलने की योजना थी। कई जगहों पर निकायों की जमीन प्राइवेट प्रॉपर्टी के बीच में पड़ी है और उसका उपयोग नहीं हो रहा। इसी तरह से कई ऐसे मामले हैं, जहां प्राइवेट लोगों की जमीन है लेकिन निकायों की जमीन आगे होने की वजह से उनके लिए रास्ता नहीं है। ऐसे सभी मामलों में निकायों को जमीन बेचने की छूट रहेगी। इंश्योरेंस या बैंकिंग सिस्टम से इस तरह की जमीन की कीमत का मूल्यांकन थर्ड पार्टी से करवाया जाएगा। कीमत तय होने के बाद उसे प्राइवेट लोगों को बेचा जा सकेगा।
रुटीन कार्यों में नहीं खर्च सकेंगे पैसा
सीएम ने स्पष्ट कहा है कि जमीनों के मालिकाना हक और निकायों की जमीन बेचने से आने वाले पैसे का इस्तेमाल नियमित खर्चों में नहीं किया जा सकेगा। सभी निकायों को इसके लिए अलग से बैंक खाता खुलवाना होगा। यह पैसा अन्य जमीन खरीदने या भवन आदि के निर्माण पर ही खर्च हो सकेगा। रुटीन के वित्तीय खर्चों के लिए सरकार द्वारा किए गए पहले वाले प्रबंध ही लागू रहेंगे।