ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 15 फरवरी
हरियाणा सरकार ने नूंह नगर पालिका को अपग्रेड करके नगर परिषद का दर्जा दिया है। राज्य सरकार की मंजूरी के बाद अब विभाग ने नूंह नगर परिषद का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। नूंह प्रदेश की 22वीं नगर परिषद होगी। खट्टर सरकार ने पिछले दिनों ही मानेसर को प्रदेश का 11वां नगर निगम बनाया था। निगम में आयुक्त की भी नियुक्ति हो चुकी है। हालांकि नगर पालिका एक्ट में विसंगियां होने की वजह से निगमों के अस्तित्व पर कानूनी खतरा अभी भी बना हुआ है। माना जा रहा है कि इस बार के बजट सत्र के दौरान संशोधित विधेयक पारित करके सरकार इन विसंगतियों को दूर कर सकती है। नूंह की आबादी 50 हजार के करीब है। ऐसे में सरकार ने इसे पालिका से अपग्रेड करके नगर परिषद बनाया है। नूंह के लोग लम्बे समय से यह मांग उठा रहे थे।
प्रदेश में अब 11 नगर निगम, 22 नगर पालिका और 56 नगर पालिका हैं। तीन निगमों-सोनीपत, पंचकूला व अंबाला सिटी के अलावा रेवाड़ी नगर परिषद, धारूहेड़ा, सांपला व उकलाना नगर पालिका के चुनाव हाल ही में सम्पन्न हुए हैं। प्रदेश के पचास के करीब निकायों के चुनाव मई-जून में प्रस्तावित हैं। पिछले साल सरकार ने झज्जर नगर पालिका को अपग्रेड करके नगर परिषद बनाया था।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वकील का कहना है कि पिछले साल अगस्त में सरकार ने विधानसभा में नगर पालिका कानून में संशोधन किया था। इसके तहत हर जिला मुख्यालय पर स्थित म्युनिसिपलिटी (शहरी निकाय संस्था) का दर्जा नगर परिषद का करने का प्रावधान किया गया था। उनका कहना है कि इस बदलाव के बाद जिला मुख्यालयों पर नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व ही समाप्त हो गया।
फरीदबाद नगर निगम का स्पष्ट उल्लेख हरियाणा नगर निगम कानून-1994 की धारा तीन में है। इसलिए उसका कानूनी अस्तित्व कायम है। वकील का कहना है कि सरकार को फरीदाबाद की तर्ज पर निगमों के लिए अलग से कानून बनाना होगा। जिला मुख्यालयों की पालिकाओं को परिषद बनाने के फैसले के बाद लागू कानून को अगर सही मानें तो मानेसर नगर निगम को भी वैध माना जाएगा। चूंकि मानेसर, गुरुग्राम जिला के अधीन आता है, लेकिन जिला मुख्यालय नहीं है।
वकील ने कहा कि निगमों के अस्तित्व के लिए खतरा बने नगर निगम कानून में विसंगति ठीक करने के लिए उन्होंने 21 सितंबर को प्रदेश सरकार और हरियाणा निर्वाचन आयोग को प्रतिवेदन भेजा था। इस पर संज्ञान लेकर आयोग ने 29 सितंबर को शहरी निकाय विभाग के निदेशक को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। गड़बड़ी दूर करने के लिए विधानसभा को हरियाणा नगर पालिका कानून की धारा-2ए में फिर से संशोधन करना पड़ेगा।