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Haryana News: समाज की बदल रही सोच, बेटों के समान बेटियों के जन्म पर मनाई जा रही खुशी

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू, चंडीगढ़, 1 मई Haryana News:  हरियाणा में समाज की सोच बदल रही है। बेटियों को अब बोझ नहीं समझा जाता। अलबत्ता बेटों की तरह ही बेटियों के जन्म पर भी खुशियां मनाई जाती है। आमतौर पर बेटों के...
सांकेतिक फाइल फोटो।
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू, चंडीगढ़, 1 मई

Haryana News:  हरियाणा में समाज की सोच बदल रही है। बेटियों को अब बोझ नहीं समझा जाता। अलबत्ता बेटों की तरह ही बेटियों के जन्म पर भी खुशियां मनाई जाती है। आमतौर पर बेटों के जन्म पर कुआं पूजन किए जाने की परंपरा है, लेकिन अब हरियाणा में बेटियों के जन्म पर भी कुआं पूजन होने लगा है। महिला एवं बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग मिलकर राज्य में लिंगानुपात में सुधार करने की मुहिम में जुटा है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी-2015 में पानीपत से ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत हुई थी। इस मुहिम के बाद राज्य में लिंगानुपात में सुधार हुआ है। वर्तमान में राज्य में 1000 लड़कों पर बेटियों की संख्या 919 है। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार जहां सख्ती से काम ले रही है वहीं लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने 18 से 29 अप्रैल तक विशेष मुहिम चलाई।

12 दिनों की इस अवधि में राज्य में 1500 परिवारों में बेटियों के जन्म पर कुआं पूजन समारोह आयोजित किए गए। अभियान के दौरान ठीक वैसी ही खुशियां परिवारों में देखने को मिली, जैसी की आमतौर पर बेटों के जन्म पर होने वाले कुआं पूजन कार्यक्रम में होती हैं। वहीं पिछले चार माह में स्वास्थ्य विभाग ने पीएनडीटी एक्ट के तहत 28 जगहों पर छापेमारी की। कैथल में ड्रग कंट्रोल ऑफिसर द्वारा की गई रेड के तहत कैथल में आवासीय परिसर से 5 हजार 805 एमटीपी किट बरामद की। इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है।

481 गांव बने बड़ा चैलेंज

हरियाणा में 481 गांव ऐसे हैं, जहां आज भी बेटियों के प्रति समाज की सोच नहीं बदल पाई है। इन गांवों में लिंगानुपात की स्थिति सबसे खराब है। यहां 1000 लड़कों पर बेटियों की संख्या औसतन 700 से भी कम है। इन गांवों के लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग विशेष बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ शिविर आयोजित कर रहा है। बेटियों के जन्म पर सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद के बारे में भी बताया जा रहा है।

एमटीपी केंद्रों पर कड़ी नजर

भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार की ओर से डॉ. वीरेंद्र यादव के नेतृत्व में राज्य टास्क फोर्स का गठन किया हुआ है। टॉस्क फोर्स एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी) केंद्रों की रिपोर्ट का नियमित अध्ययन करती है। साथ ही, दो जीवित बेटियां वाली गर्भवती महिला का एमटीपी करने वलो केंद्रों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। आमतौर पर यह धारणा रहती है कि लगातार दो बेटियां के बाद तीसरी बार भ्रूण जांच करवाने की कोशिश रहती है।

62 हजार गर्भवती महिलाओं का डाटा

आशा वर्कर व एएनएम की मदद से 1 या एक से अधिक जीवित लड़कियों वाली 62 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की पहचान की है। इन सभी महिलाओं को स्वास्थ्य विभाग की हेल्प लाइन नंबर-104 से फोन करके बार-बार यह सूचित किया जा रहा है कि कन्या भ्रूण हत्या पाप है। भ्रूण हत्या रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने आशा वर्कर को ‘सहेली’ के रूप में गर्भवती महिला के साथ जोड़ा है। ऐसी सभी आशा वर्कर को सरकार 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी देगी।

384 केंद्रों के लाइसेंस रद्द

हरियाणा में लगभग 15000 एमटीपी केंद्र हैं। नियमों के उल्लंघन में स्वास्थ्य विभाग 384 केंद्रों के लाइसेंस रद्द कर चुका है। इतना ही नहीं, 30 केंद्रों को नोटिस जारी किए हैं। पिछले चार माह यानी जनवरी से अप्रैल तक की अवधि में पीएनडीटी एक्ट के तहत 28 जगह रेड की गई। सरकार ने एमटीपी किट की बिक्री भी केवल पंजीकृत केंद्रों तक सीमित कर दी हे। 17 ऑनलाइन एमटीपी किट विक्रेताओं और 2 बिना लाइसेंस वाले एमटीपी किट विक्रेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

हरियाणा में पीएनडीटी एक्ट को सख्ती से लागू किया जा रहा है। लिंगानुपात में सुधार के साथ-साथ समाज में जागरूकता लाना हमारा मुख्य उद्देश्य है। 1500 से अधिक परिवारों में बेटियों के जन्म पर कुआं पूजन के कार्यक्रम होना सकारात्मक संदेश है। सीएचसी और यूपीएससी के प्रभारी एसएमओ की जवाबदेही तय की है। उनके क्षेत्र में लिंगानुपात में गिरावट के लिए वे जिम्मेदार होंगे। सभी सिविल सर्जन को निजी प्रेक्टिस करने वाी महिला बीएएमएस व बीएचएमएस डॉक्टरों की लिस्ट बनाने को कहा है ताकि गर्भपात को रोका जा सके।

-सुधीर राजपाल, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव।

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