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Haryana News : जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर यात्री

रोडवेज बसों की कमी के कारण लोग परेशान, एक बस में होते हैं 75 यात्री
यमुनानगर में रोडवेज बस में सवार लोगों की भीड़। -हप्र
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सुरेंद्र मेहता/हप्र

यमुनानगर, 4 दिसंबर

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रोडवेज की बसों में लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। यमुनानगर में कई ऐसे रूट ऐसे हैं जहां यात्री बसों में लटककर सफर करते नजर आए हैं। 52 सीटों वाली बस में कई बार 75 से अधिक यात्री सवार हो जाते हैं, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

रोडवेज बस की खिड़की पर लटककर यात्रा करते लोग। -हप्र

यमुनानगर जिले में 265 बसों की स्वीकृति मिली थी, लेकिन कभी भी 265 बसें यमुनानगर डिपो में नहीं आई। यह अंतर तब और बढ़ता गया जब बसें कंडम होती गई और उनकी जगह नई बसें नहीं आई। धीरे-धीरे बसों की संख्या घटकर 201 तक आ पहुंच गई है। इनमें से 60 बसे वर्कशॉप में खड़ी है, जिनमें से अधिकांश बसें चलने की स्थिति में नहीं है। इस बारे में यात्रियों का कहना है कि जिले में बसों की कमी है, उन्हें समय पर स्कूल, कॉलेज अथवा कार्यालय पहुंचना होता है, समय के अभाव के कारण वे बसों में बैठते हैं। बसों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। यात्रियों ने कहा कि शहरी रूट के अलावा ग्रामीण इलाकों में बसों की भारी कमी है। प्राइवेट बसें उतनी संख्या में नहीं है, सरकारी बसें की संख्या इतनी कम है कि कई-कई घंटे के अंतराल के बाद बसें पहुंचती हैं, लोगों को समय पर अपने गंतव्य तक जाना होता है, जिसके चलते सवारियों को बसों में लटककर और जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर, रोडवेज कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने लटककर यात्रा करने की प्रवृति पर रोकथाम के प्रयास किये थे। जिसके चलते झगड़े भी होते हैं। मामला थाना में भी पहुंचा, कई बार स्टूडेंट्स गाली गलौज करते हैं, इसके बावजूद वे प्रयास करते हैं कि लोग बसों के अंदर बैठकर सही तरीके से यात्रा करें।

इस बारे में रोडवेज कर्मचारी राजिंदर कंबोज ने कहा कि डिपो में बसों की कमी है। इसके अलावा यमुनानगर की 43 अच्छी बसें एनसीआर क्षेत्र में भेज दी गई हैं और वहां से कंडम बसें यमुनानगर आई है, ये चलने की स्थिति में नहीं है, इसके चलते भी कई रूट प्रभावित हुए हैं। कंडम बसों के कारण रोडवेज वर्कशॉप में जाम के हालात हैं। यमुनानगर रोडवेज डिपो टाटा का है और यहां से 43 बसें टाटा की भेजी गई लेकिन उनके बदले लीलैंड बसें आईं हैं, जिसके यहां पुर्जे और मिस्त्री और औजार भी नहीं। इसके विरोध में रोडवेज कर्मचारियों ने 1 घंटे का जाम लगाया था और इन कंडम बसों को वापस किए जाने की मांग की थी लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई।

सुरक्षित यात्रा करवाना हमारी जिम्मेदारी : जीएम

रोडवेज महाप्रबंधक संजय रावल का कहना है कि उन्होंने रोडवेज कर्मचारियों को हिदायतें दी हुई है कि यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जाए, लेकिन कई बार कुछ लोग बसों में खड़े होकर सफर करते हैं ,जिसके चलते कई बार यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। लोग भी अपनी जिम्मेदारी समझें ताकि सफर सुरक्षित हो सके। उन्होंने कहा कि जो 43 बसें एनसीआर क्षेत्र में भेजी गई थी, उसके बदले में जो भी बसें आई है, उन्हें सही करके ही रूट पर चलाया जाएगा। सवारियों को सुरक्षित उनके स्टेशन पहुंचना रोडवेज की जिम्मेदारी है।

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