Haryana News: हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ की मांग, बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे सरकार
Haryana News: लगातार भारी वर्षा और नदियों में आई बाढ़ ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में तबाही मचा दी है। पंजाब के सभी 23 जिले और हरियाणा के लगभग 2000 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। मजदूर, किसान, पशुपालक और गरीब वर्ग का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। फसलें बर्बाद, पशुधन बह गया और गरीब परिवारों के घर ढह गए। कई जगह दबकर मौतें होने की खबरें भी सामने आई हैं।
बाढ़ से शिक्षा क्षेत्र भी गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। एक सप्ताह से अधिक समय से स्कूल बंद पड़े हैं। कई स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप्प है। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ (एचवीएएस) ने बड़ा निर्णय लिया है। संगठन ने 7 सितम्बर को शिक्षा मंत्री के कैंप कार्यालय पानीपत में प्रस्तावित “मास डेपुटेशन” आंदोलन को स्थगित कर दिया है। संगठन का कहना है कि फिलहाल प्राथमिकता आंदोलन नहीं बल्कि बाढ़ राहत कार्य है।
राहत कार्यों में उतरेगा शिक्षक संगठन
राज्य प्रधान प्रभु सिंह ने कहा कि अध्यापक संघ जनसरोकारी संगठन है, इसलिए बाढ़-पीड़ितों की मदद करना ही आज की सबसे बड़ी जरूरत है। सभी जिला व ब्लॉक इकाइयों को राहत योजनाएं बनाने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षकों से अपेक्षा की गई है कि वे सिर्फ आर्थिक सहयोग तक सीमित न रहकर राहत शिविरों में सक्रिय भूमिका निभाएं। बच्चों की पढ़ाई न रुके, इसके लिए अस्थायी अध्ययन केंद्रों की व्यवस्था में भी मदद करेंगे।
सरकार से मुख्य मांगें
- बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
- प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए।
- किसानों, मजदूरों और पशुपालकों की क्षति की भरपाई की जाए।
- क्षतिग्रस्त स्कूलों व सार्वजनिक भवनों के लिए विशेष पैकेज जारी किया जाए।
14 सितम्बर को रोहतक में बैठक
संघ ने घोषणा की है कि 14 सितम्बर को कर्मचारी भवन, रोहतक में राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जाएगी। इसमें भविष्य की रणनीति, सांगठनिक गतिविधियां और आपदा के बीच शिक्षा को जारी रखने के उपायों पर निर्णय लिया जाएगा। आज हुई राज्य कोर ग्रुप बैठक की अध्यक्षता प्रभु सिंह ने की और संचालन महासचिव रामपाल ने किया। इस अवसर पर उप महासचिव कृष्ण नैन, राज्य प्रचार सचिव निशा, कोषाध्यक्ष संजीव सिंगला, गुरमीत सिंह और सुखदर्शन सरोहा भी मौजूद रहे।