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Haryana News : हरियाणा कॉलेजों में दाखिले पर संकट, पीजी की 61 और यूजी की 49% सीटें खाली, हजारों शिक्षक पद रिक्त

कॉलेजों में नये कोर्स लांच होने के बाद भी भर नहीं पाई सीटें, स्टॉफ की कमी भी एडमिशन के प्रति घट रही रुचि की बड़ी वजह
शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा
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Haryana News : हरियाणा की उच्च शिक्षा व्यवस्था इन दिनों गहरे संकट से गुजर रही है। दाखिले का ग्राफ तेजी से गिरा है और शिक्षकों की कमी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। सरकारी और एडेड कॉलेजों में इस बार आधे से ज्यादा सीटें खाली रह गईं। पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) की 61 प्रतिशत और अंडर ग्रेजुएशन (यूजी) की 49 प्रतिशत सीटें नहीं भर पाईं। यह स्थिति न केवल कॉलेज प्रबंधन बल्कि राज्य सरकार के लिए भी चिंता का कारण बन गई है।

पिछले सत्र में जहां करीब 1.57 लाख विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था, वहीं इस बार संख्या घटकर 1.39 लाख रह गई। यानी 18 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने कॉलेज का रुख ही नहीं किया। शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि रोजगारोन्मुखी कोर्सों की कमी, प्राइवेट यूनिवर्सिटी और डिस्टेंस एजुकेशन का विकल्प और कॉलेजों में फैकल्टी का अभाव इसकी बड़ी वजह है।

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शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने इस स्थिति पर नाराजगी जताई है। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगले सत्र से पहले ठोस रणनीति तैयार की जाए। मंत्री का कहना है कि दाखिलों में गिरावट को रोकने के लिए छात्रों को आकर्षित करने वाले कोर्स और बेहतर वातावरण उपलब्ध कराना होगा। वे इसी सप्ताह इस संदर्भ में अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे ताकि आगे की रणनीति तय की जा सके।

नए कोर्स, लेकिन असर नहीं

सरकार ने इस सत्र में दाखिला बढ़ाने के लिए 101 नए कोर्स और 33 विषय शुरू किए। कॉलेज प्राचार्यों को आदेश था कि 20 से कम विद्यार्थियों वाले कोर्स विश्वविद्यालय की अनुमति से बंद किए जा सकते हैं। साथ ही, प्रचार-प्रसार अभियान चलाने के लिए डीसी से लेकर विश्वविद्यालय कुलपतियों तक को जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन इन सभी प्रयासों के बावजूद दाखिलों में कमी थम नहीं पाई।

खाली पड़े हजारों शिक्षक पद

प्रदेश के कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी स्थिति को और खराब कर रही है। यही स्थिति एडेड कॉलेजों की है। सरकारी सहायता से चल रहे इन कॉलेजों में 2500 स्वीकृत पदों में से करीब 800 रिक्त हैं। लंबे समय से भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई थी, जिसे हाल ही में दुबारा शुरू करने के संकेत मिले हैं। वहीं सरकारी कॉलेजों में 7986 स्वीकृत पदों में से केवल 3264 नियमित शिक्षक कार्यरत हैं। 1964 अस्थायी लेक्चरर काम कर रहे हैं, जबकि 2758 पद खाली हैं।

रोजगार से जुड़ी पढ़ाई का अभाव

शिक्षाविदों का मानना है कि दाखिले घटने का मूल कारण सिर्फ नए कोर्स की कमी नहीं, बल्कि गुणवत्ता और रोजगार से जुड़ी पढ़ाई का अभाव है। छात्र आज ऐसे संस्थानों की ओर झुक रहे हैं जहां प्लेसमेंट और स्किल बेस्ड एजुकेशन की गारंटी हो। सरकारी कॉलेज इस कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले सत्रों में यह संकट और गहरा सकता है। दाखिला घटने और शिक्षक पद रिक्त रहने से हरियाणा की उच्च शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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