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Haryana News : 23 साल से अस्पष्टता में फंसा आकस्मिक अवकाश, अब भी सरकार के निर्देशों के इंतजार में हरियाणा के ऐडिड कॉलेज कर्मचारी

2002 से अब तक दिशानिर्देश गायब, कॉलेज कर्मचारी बोले, सरकारी कर्मचारियों के लिए नियम हैं, तो हमें अधिकार क्यों नहीं

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प्रतीकात्मक फोटो।
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Haryana News : सरकार के अधीन चल रहे ऐडिड कॉलेजों में कार्यरत करीब 4,000 कर्मचारी पिछले 23 सालों से ‘आकस्मिक अवकाश’ के नियमों की अस्पष्टता में फंसे हुए हैं। 2002 में सरकार ने ‘हरियाणा एफिलिएटेड कॉलेज लीव रूल्स, 2002’ तो लागू किए, लेकिन इन नियमों में आकस्मिक अवकाश, लघु अवकाश और विशेष आकस्मिक अवकाश के बारे में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया।

इन नियमों की धारा 16(2) में यह जरूर लिखा गया है कि ऐडिड कॉलेज कर्मचारियों का आकस्मिक अवकाश उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा जारी अनुदेशों के अधीन होगा। लेकिन वे अनुदेश आज तक जारी ही नहीं हुए। परिणामस्वरूप, कर्मचारी और कॉलेज प्रशासन दोनों ही 23 वर्षों से दिशा-निर्देशों के इंतजार में हैं।

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हरियाणा प्राइवेट कॉलेज नॉन-टीचिंग एम्प्लॉइज यूनियन के प्रधान विजेंद्र कादियान ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यह विडंबना है कि उच्चतर शिक्षा विभाग, जो नीति निर्माण का जिम्मेदार है, उसने आज तक यह तक स्पष्ट नहीं किया कि ऐडिड कॉलेजों के कर्मचारी आकस्मिक अवकाश के पात्र हैं या नहीं। और यदि हैं, तो कितने दिनों के।

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कादियान ने कहा कि इस अस्पष्टता का खामियाजा सीधे कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब कोई कर्मचारी घर में आपात स्थिति आने पर दो दिन का अवकाश मांगता है, तो कॉलेज प्रशासन के पास कोई निर्देश न होने के कारण वह मना कर देता है या उसे ‘अवैतनिक अवकाश’ लेने को मजबूर कर देता है। यह स्थिति कर्मचारी के मनोबल और सम्मान दोनों को तोड़ती है।

सरकारी कर्मियों को सुविधा, एडिड को इंतजार

गौरतलब है कि हरियाणा सिविल सर्विस (लीव) रूल्स, 2016 के अध्याय 14 में राज्य के नियमित कर्मचारियों के लिए आकस्मिक अवकाश का विस्तृत प्रावधान है। पुरुष कर्मचारियों को निश्चित संख्या में अवकाश मिलते हैं। महिला कर्मचारियों को विशेष रूप से 25 आकस्मिक अवकाशों का अधिकार दिया गया है। परंतु उच्चतर शिक्षा विभाग की चुप्पी के कारण ऐडिड कॉलेजों में कार्यरत महिला कर्मचारी इस सुविधा से पूरी तरह वंचित हैं। जब वे इन नियमों का हवाला देती हैं, तो कॉलेज प्रशासन कह देता है कि इस संबंध में निदेशालय से कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ।

नियमों की नहीं, संवेदनशीलता की कमी

शिक्षा क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि यह मामला सिर्फ नियमों की अनुपलब्धता नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता का प्रतीक है। जब हर विभाग में कर्मचारियों के लिए स्पष्ट अवकाश नियम मौजूद हैं, तो ऐडिड कॉलेजों को इस अधिकार से वंचित रखना किसी नीति नहीं, बल्कि लापरवाही का सबूत है। कर्मचारी संगठनों ने सरकार से सवाल किया है कि क्या आकस्मिक अवकाश पाने के लिए भी हमें 23 साल और इंतज़ार करना होगा। उन्होंने मांग की है कि उच्चतर शिक्षा विभाग तुरंत हरियाणा सिविल सर्विस (लीव) रूल्स, 2016 की तर्ज पर ऐडिड कॉलेजों के कर्मचारियों के लिए भी आकस्मिक, लघु और विशेष आकस्मिक अवकाश के स्पष्ट नियम जारी करे।

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