ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 23 अप्रैल
हरियाणा सरकार को अडानी ग्रुप की वजह से रोजाना 140 करोड़ 50 लाख रुपये की चपत लगेगी। एग्रीमेंट के मुताबिक अडानी की ओर से प्रदेश को बिजली सप्लाई नहीं की जा रही। ऐसे में सरकार को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की प्राइवेट कंपनियों ने महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ी है। एमपी की एमबी पावर के साथ 5 रुपये 70 पैसे और छत्तीसगढ़ की आरकेएम पॉवर के साथ 5 रुपये 75 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से खरीद समझौता हुआ है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह खुलासा करते हुए आरोप जड़े कि राज्य की खट्टर सरकार अडानी ग्रुप के साथ मिलकर प्रदेश पर आर्थिक बोझ डाल रही है। पिछले साल से ही अडानी ग्रुप हरियाणा को सप्लाई नहीं कर रहा लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। 2010-11 में इंडोनेशिया में कोयले के रेट बारे कानून में बदलाव हुआ। इसके आधार पर अडानी पावर ने हरियाणा के साथ हुए पीपीए को सिरे से खारिज करने या फिर कोयले की बढ़ी हुइ कीमतें हरियाणा द्वारा देने की मांग रखी। रणदीप के अनुसार सरकार ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की दो प्राइवेट कंपनियों से तीन साल 500 मैगावाट बिजली खरीदने का एग्रीमेंट किया है। अडानी से 2 रुपये 94 पैसे में बिजली आनी थी, जो नहीं आ रही। अब 5 रुपये 75 पैसे में खरीदने की वजह से 2 रुपये 81 पैसे प्रति यूनिट अधिक दाम देने होंगे। ऐसे में सरकार रोजाना 140 करोड़ 50 लाख रुपये बिजली खरीद पर अतिरिक्त खर्च करेगी। यानी सालाना 51 हजार 282 करोड़ रुपये का बोझ प्रदेश पर पड़ेगा।
सुरजेवाला ने कहा कि यह मामला विभिन्न संस्थाओं व आयोग से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी ग्रुप की दोनों मांगों को खारिज कर दिया। हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग (एचईआरसी) ने भी खट्टर सरकार द्वारा बिजली की खरीद अडानी पावर की ‘रिस्क एंड कॉस्ट’ पर नहीं करने पर सवाल उठाए हैं। रणदीप ने इस बाबत 6 अप्रैल, 2022 को एचईआरसी द्वारा दिए गए आदेशों की कॉपी भी मीडिया को सौंपी है। उन्होंने आरोप लगाए कि बिजली खरीद में बड़ा घोटालाकिया जा रहा है।
दबाव की बजाय आग्रह कर रही सरकार
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब अडानी पावर के साथ 25 वर्षों के लिए समझौता हुआ है तो सरकार को आपूर्ति के लिए दबाव बनाना चाहिए। हो इसके उलट रहा है। सीएम मनोहर लाल खट्टर ही नहीं, केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह तक कह रहे हैं कि प्राइवेट बिजली कंपनियों से अनुरोध करेंगे कि वे रीजनेबल रेट पर बिजली दें। सुरजेवाला ने बिजली खरीद के नाम पर प्रदेश के लोगों के हजारों करोड़ बर्बाद करने के आरोप लगाए हैं।
अडानी पावर ने खुद ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में 24 नवंबर, 2007 को 2 रुपये 94 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से 1424 मैगावाट बिजली सप्लाई के लिए कंपटिटिव बिड दी थी। हुड्डा सरकार ने 31 जुलाई, 2008 को अडानी ग्रुप की बिड को मंजूर किया और 25 वर्षों के लिए समझौता किया गया। इसके लिए बाकायदा बिजली खरीद समझौता (पीपीए) पर साइन हुए। गुजरात के मुंद्रा से महेंद्रगढ़ तक अडानी पावर द्वारा बिजली की लाइन भी बिछाई गई।
- कांग्रेस सरकार ने 2008 में बिजली खरीद के लिए किया था 25 साल का समझौता
- 2 रुपये 94 पैसे प्रति यूनिट तय था रेट, कोयले की बढ़ी कीमतों के बाद से सप्लाई रोकी
- कोयले के भाव के हिसाब से रेट मांग रहा अडानी ग्रुप, सुप्रीम कोर्ट तक कर चुका इंकार
- मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ की प्राइवेट कंपनियों से महंगी दरों में खरीदी जा रही बिजली