चंडीगढ़, 11 जुलाई (ट्रिन्यू)
दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा हरियाणा पर लगाए जा रहे कम पानी देने के आरोपों पर राज्य सरकार ने पलटवार किया है। सरकारी प्रवक्ता ने दो-टूक कहा कि दिल्ली को पूरा पानी दिया जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में पानी का संकट हरियाणा की नहीं बल्कि खुद दिल्ली सरकार की जल प्रबंधन नीति सही नहीं होने की वजह से गहराया है। दिल्ली को नहर के मुनक नहर के माध्यम से 1049 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है। नयी दिल्ली में बवाना कांट्रेक्ट प्वाइंट पर 950 क्यूसेक पानी पहुंच रहा है। यह पानी हरियाणा निरंतर उपलब्ध करा रहा है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मानसून में देरी के कारण यमुना नदी में पानी न उपलब्ध होने के कारण और दिल्ली में जल प्रबंधन की कुव्यवस्था के चलते दिल्ली वासियों को पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए झूठी राजनीतिक बयानबाजी कर रही है। सच तो यह है कि यमुना में इस वर्ष लगभग 40 प्रतिशत पानी की कमी के चलते दिल्ली को अपने हिस्से का पानी दिया है। यमुना और राबी ब्यास के पानी से मुनक में दिल्ली का हिस्सा 719 क्यूसेक पानी है। इसके अलावा, 29 फरवरी 1996 में सुनाए गए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन के लिए मुनक में हरियाणा द्वारा 330 क्यूसेक अतिरिक्त यमुना का पानी छोड़ा जाता है। ऊपरी यमुना नदी बोर्ड की 52वीं और 54वीं बैठक में इस स्थिति की पुष्टि भी कर चुका है। इस साल मई के महीने में दिल्ली ने इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट में एक सिविल रिट याचिका दायर की थी कि हरियाणा, दिल्ली को पूरा हिस्सा नहीं दे रहा है। जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
20 % पानी की हो रही बर्बादी
प्रवक्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार की इकनोमिक सर्वे वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में पेयजल के कुप्रबंधन के कारण 20 प्रतिशत पेयजल व्यर्थ हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार व्यर्थ होने वाले पेयजल की मात्रा 30 प्रतिशत से अधिक है। दुख की बात यह है कि हरियाणा सरकार अपने सकारात्मक प्रयत्नों एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए भी दिल्ली सरकार की आलोचना झेल रही है।