चंडीगढ़, 13 जुलाई (ट्रिन्यू)
हरियाणा के संसदीय कार्य मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि केंद्र सरकार अगर पंजाब को चंडीगढ़ में अलग विधान सभा इमारत के लिए जमीन देती है तो हरियाणा को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी। यहां पत्रकारों से बातचीत में कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हरियाणा को अलग विधान भवन के लिए चंडीगढ़ में जमीन दिए जाने के बाद पंजाब की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी एकमत नहीं है। वहीं हरियाणा में कांग्रेस द्वारा किया जा रहा विरोध पूरी तरह से निराधार है। उन्होंने कहा कि जल्द ही अलग विधान भवन के लिए जमीन फाइनल होगी।
गुर्जर ने कहा कि हरियाणा में सरकार के फैसले का विरोध करने वालों को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके ही कार्यकाल के दौरान हरियाणा के दफ्तरों को चंडीगढ़ से पंचकूला शिफ्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा व पंजाब में हुए समझौते के अनुसार मौजूदा विधानसभा भवन में हरियाणा के हिस्से 40 प्रतिशत क्षेत्र आया था। आज तक हरियाणा को केवल 28 प्रतिशत हिस्सा ही मिल पाया है जबकि 12 प्रतिशत पर पंजाब का कब्जा है। संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि एक तरफ पंजाब सरकार हरियाणा को उसका हिस्सा नहीं दे रही है दूसरी तरफ हरियाणा जब अपनी इमारत बनाने जा रहा है तो उसका भी विरोध किया जा रहा है, जिसका कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि हरियाणा द्वारा मौजूदा इमारत कम जगह होने के कारण छोड़ी जा रही है। पंजाब को चाहिए कि वह हरियाणा का विरोध करने की बजाए अपना प्रस्ताव केंद्र को बनाकर भेजे। संसदीय मंत्री ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री और मंत्री भी इसे लेकर एकमत नहीं हैं। कुछेक मंत्रियों द्वारा ही विरोध में बयान दिया जा रहा है।
खत्म नहीं होगा दावा
हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने हरियाणा व पंजाब के कांग्रेसी व आप नेताओं द्वारा विधानसभा की नयी इमारत को लेकर किए जा रहे विरोध पर पलटवार करते हुए कहा कि चंडीगढ़ में हरियाणा और पंजाब की हिस्सेदारी 40 व 60 प्रतिशत के हिसाब से है। इसे कोई नहीं बदल सकता। पंजाब वाले अपने विधानसभा में कुछ भी पास कर दें, उसका कोई मतलब नहीं है। यह केंद्र सरकार का मुद्दा है।