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हरियाणा पर चढ़ा साढ़े 4 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज

10 साल में कर्ज का बोझ बढ़ा, सिर्फ चार माह में ही 19 हजार करोड़ से अधिक उधार
पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा।
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हरियाणा की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर बीते करीब 10 वर्षों में कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2014 से लेकर 2024-25 तक के दौरान राज्य सरकार ने 4 लाख 61 हजार 183 करोड़ रुपये का कर्ज उठाया है। इनमें से कुछ हिस्से की अदायगी हो चुकी है, लेकिन फिलहाल भी सरकार पर 3 लाख 17 हजार 257 करोड़ रुपये की देनदारी बाकी है।मुख्यमंत्री नायब सैनी ने यह आंकड़ा मंगलवार को विधानसभा में इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला के प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए पेश किया। अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच ही प्रदेश सरकार ने 19 हजार 402 करोड़ रुपये का नया कर्ज लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के जरिए खुले बाजार से 3 लाख 8 हजार 338 करोड़ रुपये का कर्ज उठाया गया, जिसमें से 2 लाख 89 हजार 639 करोड़ अभी बकाया हैं।

नाबार्ड से 10 हजार 765 करोड़ का लोन लिया गया, जिसमें से 7 हजार 463 करोड़ रुपये अभी लौटाने बाकी हैं। एनएसएसएफ (राष्ट्रीय लघु बचत कोष) से 2 हजार 972 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया, जबकि पहले का 4 हजार 348 करोड़ भी अभी बाकी है। यहां बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कर्ज के मुद्दे पर अकसर सरकार को घेरते रहे हैं। उनका कहना है कि वित्तीय प्रबंधन सही नहीं होने की वजह से प्रदेश की यह स्थिति हुई है।

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बिजली निगमों के घाटे का बोझ

केंद्र की ‘उदय योजना’ के तहत बिजली निगमों का करीब 30 हजार करोड़ रुपये का घाटा कम करने के लिए हरियाणा सरकार ने 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज अपने सिर लिया। इसके लिए 26 हजार 950 करोड़ रुपये के उदय बॉन्ड जारी किए गए। फिलहाल इस योजना से 6 हजार 920 करोड़ रुपये अभी भी बकाया हैं।

केंद्र और अन्य वित्तीय संस्थानों से भी कर्ज

भाजपा सरकार ने इस अवधि में केंद्र सरकार से 5 हजार 703 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, जिसमें से 5 हजार 594 करोड़ रुपये अब भी चुकाना बाकी है। वहीं एनसीआरपीबी, सिडबी, एनएचबी व अन्य बैंकों से 5 हजार 794 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया, जिसमें से 1528 करोड़ अभी भी बकाया है।

 

 

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