शिक्षा मोर्चे पर हरियाणा सरकार के फैसले, चुनौतियां और अभियान साथ-साथ
हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था इन दिनों सुर्खियों में है। एक ओर सरकार ने अनुबंध पर कार्यरत एचकेआरएन टीजीटी शिक्षकों को 30 सितंबर तक राहत देकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, तो दूसरी ओर जींद जिले में एक सरकारी स्कूल पर ताला जड़ने की घटना ने आधारभूत ढांचे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी बीच, उच्चतर शिक्षा विभाग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस को ध्यान में रखते हुए 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक सेवा पखवाड़ा मनाने के निर्देश जारी किए हैं।
नियमित भर्ती के बाद सरप्लस घोषित कर कार्यमुक्त किए गए एचकेआरएन शिक्षकों पर बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा था। लेकिन मुख्य सचिव कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद अब उनका अनुबंध 30 सितंबर तक बढ़ा दिया गया है। निर्देशों के अनुसार, इन शिक्षकों को जहां कार्यरत हैं वहीं रखा जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर वर्कलोड के आधार पर अन्य स्कूलों में समायोजित किया जाएगा। यह निर्णय हजारों परिवारों के लिए फिलहाल राहत की सांस लेकर आया है। हालांकि, यह सवाल अभी भी बरकरार है कि 30 सितंबर के बाद इन शिक्षकों का भविष्य क्या होगा। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेर सकता है और कह सकता है कि शिक्षा व्यवस्था को ठेके पर चलाने की नीति शिक्षक और छात्रों—दोनों के लिए नुकसानदेह है।
जींद: स्कूल पर ताला, 131 बच्चों की पढ़ाई संकट में
Haryana Education जींद जिले की हरिजन बस्ती में स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला पर मंगलवार को कालोनिवासियों ने ताला जड़ दिया। वजह थी विद्यालय भवन की कमी। यहां कक्षा पहली से पांचवीं तक के 131 बच्चे सिर्फ एक बरामदे में पढ़ने को मजबूर हैं। मामले की जानकारी मिलते ही खंड शिक्षा अधिकारी मौके पर पहुंचे और बातचीत के बाद ताला खुलवाया गया। अभिभावकों ने मांग रखी कि स्कूल दोहरी शिफ्ट में चलाया जाए। यह घटना साफ तौर पर दिखाती है कि सरकार की नीतियां कागजों तक सीमित रह जाती हैं, जबकि जमीनी स्तर पर बच्चों की पढ़ाई बुनियादी सुविधाओं के अभाव में प्रभावित हो रही है।
सेवा पखवाड़ा: कॉलेजों में विशेष अभियान
दूसरी ओर, सरकार कॉलेज स्तर पर सेवा पखवाड़ा अभियान को बड़े पैमाने पर मनाने जा रही है। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक राज्यभर के कॉलेजों में स्वच्छता, नशा मुक्ति, पौधारोपण और प्लास्टिक उन्मूलन जैसे कार्यक्रम होंगे। 24 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन और विचारों पर संगोष्ठी भी आयोजित की जाएगी। अभियान का उद्देश्य युवाओं को समाजसेवा और जागरूकता गतिविधियों से जोड़ना है। विपक्ष इसे "इवेंट पॉलिटिक्स" कह सकता है, लेकिन सरकार का दावा है कि इससे छात्र-छात्राओं में सामाजिक जिम्मेदारी की भावना मजबूत होगी।